कश्मीर में सुरक्षाबलों की संख्या पर तेज हुई सियासत, अफवाहों का बाजार गर्म
पता चला है कि ये सारा प्रोपेगैंडा उन राजनीतिक और सामाजिक दलों के द्वारा किया जा रहा है जो हर हाल में आर्टिकल 35A के साथ खड़े हैं। जब से कश्मीर में सीआरपीएफ की 100 एडिशनल कंपनियां तैनात करने का फैसला लिया गया है तब से इस पर सियासत तेज हो घई है।
नई दिल्ली: कश्मीर में इन दिनों अफवाहों का बोलबाला है। सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ ना कुछ ऐसी खबरें रहती हैं जिसका वास्तविकता से कुछ भी लेना देना नहीं। कश्मीर के राजनीतिक दल इन अफवाहों को आर्टिकल 35A के साथ जोड़कर देख रहे हैं जबकि सरकार ने ऐसी अफवाहों पर ध्यान ना देने की अपील कर रही है। बता दें कि बीते कुछ दिनों से कश्मीर की सोशल मीडिया में कई ऐसे सरकारी ऑर्डर के चर्चे हैं जो कोरी अफवाह है, जिसे सोशल मीडिया के जरिए सही होने का दावा किया जा रहा है।
पता चला है कि ये सारा प्रोपेगैंडा उन राजनीतिक और सामाजिक दलों के द्वारा किया जा रहा है जो हर हाल में आर्टिकल 35A के साथ खड़े हैं। जब से कश्मीर में सीआरपीएफ की 100 एडिशनल कंपनियां तैनात करने का फैसला लिया गया है तब से इस पर सियासत तेज हो घई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने इस फैसले को जम्मू कश्मीर के आर्टिकल 35A से जोड़ना शुरु कर दिया है।
सोशल मीडिया पर ये खबर फैलाई जा रही है कि आर्टिकल 35A को खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने तैयारी कर ली है। यही वजह है कि कश्मीर में सुरक्षाबलों के नए दस्ते को तैनात किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसी खबरों की भरमार है। तमाम खबरों के बीच सोशल मीडिया पर ये खबर भी तेजी से फैली कि रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ने अपने कर्मचारियों को अगले चार महीने तक का राशन भरने की एडवाइजरी जारी की है।
इस एडवाइजरी में कहा गया कि आनेवाले दिनों में स्टेट के हालात खराब हो सकते हैं इसलिए अभी से तैयारी शुरु करें। रेलवे की ये खबर पूरे कश्मीर में जंगल में आग की तरह फैल गई और बिना सोचे समझे इस पर राजनीति भी शुरू हो गई। सोशल मीडिया पर इस खबर के सामने आते ही सवाल दिल्ली में भी उठने लगे।
हालांकि बाद में रेलवे ने इस मामले में सफाई भी दी। रेलवे ने साफ कहा कि इस तरह की खबरों का कोई आधार नहीं है और ना ही ऐसे ऑर्डर को जारी करने का अधिकार बडगाम के रेलवे पुलिस फोर्स के अधिकारी असिस्टेंट सिक्योरिटी कमिश्नर को है। सोशल मीडिया पर खबरें सामने आने के बाद से हर तरफ हड़कंप मचा है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आर्टिकल 35A को हटाने की कोशिशों की खबरों के बीच सरकार पर जोरदार हमला किया है।
कश्मीर में सोशल मीडिया से आग लगाने की कितनी बड़ी साजिश रची जा रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर उस बात के लिए लोगों को उकसाया जा रहा है ताकि लोगों की भावनाएं भड़के। सोशल मीडिया पर एक और खबर ये फैली कि जम्मू कश्मीर की सरकार ने श्रीनगर की सभी मस्जिदों और उनके मैनेजमेंट कमेटी की डिटेल भी मांगी है।
सोशल मीडिया पर एक चिट्ठी शेयर की गई जिसमें दावा किया गया कि श्रीनगर के एसएसपी ने सभी जोनल एसपी से अपने इलाके में मौजूद मस्जिदों और उन्हें चलानेवाले लोगों की डीटेल्स पूछी है। सोशल मीडिया की इन खबरों पर जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के यहां से भी सफाई आई है। राज्यपाल के सलाहकार विजय कुमार ने इन आदेशों को अफवाह बताया है। साफ है कि कश्मीर को सुलगाने की साजिश रची जा रही है और इस बार इसका सबसे माकूल हथियार सोशल मीडिया बना है।