नयी दिल्ली: राज्यसभा में सत्तापक्ष और कांग्रेस के सदस्यों के बीच उस समय तीखी नोंकझोंक हुई जब सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यह दावा किया कि नोटबंदी के फैसले के कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या उरी में पाकिस्तानी आतंकवादियों की गोलीबारी के शिकार लोगों से ज्यादा है।
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नोटबंदी मुद्दे पर चर्चा के जवाब के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सदन में उपस्थिति की मांग को लेकर हो रहे हंगामे के बीच आजाद ने कहा कि सरकार के गलत फैसले के कारण देश भर में लाखों लोगों को परेशानी हो रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार के नोटबंदी के फैसले के चलते 40 निरपराध लोगों की मौत हो गयी जो उरी में पाकिस्तानी आतंकवादियों की गोलीबारी में मारे गये लोगों की तुलना में भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि इन लोगों की मौतों की जिम्मेदारी भाजपा और सरकार पर है।
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आजाद की इस टिप्पणी पर सत्ता पक्ष ने तीखी आपत्ति जतायी और नोटबंदी के फैसले की तुलना उरी हमले से करने के लिए माफी मांगने की मांग की। सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने उनके बयान को राष्ट्रविरोधी बताते हुए कहा कि गुलाम नबी आजाद पाकिस्तान को प्रमाण पत्र दे रहे हैं। नायडू ने उनके बयान को सदन की कार्यवाही से निकालने का आसन से अनुरोध किया।
आजाद ने कहा कि वह सरकार के फैसले के कारण हुयी मौतों का सिर्फ जिक्र कर रहे थे। उन्होंने बीजेपी और प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि हम (कश्मीर के लोग) 24 घंटे पाकिस्तान को झेलते रहते हैं जबकि आप वहां शादी-विवाह में शामिल होने जाते हैं। आप उन्हें तोहफे भिजवाते हैं। उपसभापति पी जे कुरियन ने इस मामले में रिकार्ड पर गौर करने का आश्वासन दिया।
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