पुलवामा आतंकी हमले के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की मांग हुई तेज
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद अब तीनों सेनाओं की संयुक्त कमान के प्रमुख (सीडीएस) की नियुक्ति की मांग एक फिर तेज हो गई है
नयी दिल्ली: पुलवामा में आतंकी हमले के बाद अब तीनों सेनाओं की संयुक्त कमान के प्रमुख (सीडीएस) की नियुक्ति की मांग एक फिर तेज हो गई है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है कि सरकार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति करनी चाहिए। पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त एवं रक्षा मामलों के विशेषज्ञ जी पार्थसारथी ने ‘‘भाषा’’ से बातचीत में कहा कि कारगिल युद्ध के बाद गठित समिति की एक महत्वपूर्ण सिफारिश तीनों सेनाओं के संयुक्त प्रमुख :सीडीएस: की नियुक्ति करने की थी। इसका उद्देश्य था कि सेना के तीनों अंग एक प्रमुख के तहत समन्वय के साथ काम कर सके।
उन्होंने कहा कि सरकार ने समिति की ज्यादातर मांग मान ली लेकिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की सिफारिश पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। पार्थसारथी ने कहा ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इस दिशा में सरकार को जल्द कदम उठाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह विषय रक्षा मंत्रालय की नौकरशाही में उलझ गया है। उल्लेखनीय है कि करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए साल 1999 में युद्ध के तत्काल बाद उच्च स्तरीय सुब्रह्मण्यम समिति ने पहली बार 'चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ' बनाने की सिफारिश की थी।
वर्ष 2016 के उरी आतंकी हमले के बाद सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान उत्तरी सैन्य कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल :सेवानिवृत: दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह सही है कि करगिल युद्ध के बाद गठित समिति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की सिफारिश की थी । सरकार ने सिद्धांत के रूप में इसे स्वीकार भी किया, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया। उन्होंने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्त का समर्थन करते हुए कहा कि अब यह राजनीतिक निर्णय का मामला है। उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय पर बाद में गठित नरेश चंद्रा समिति ने भी सीडीएस की नियुक्ति की समर्थन किया था।
हुड्डा ने हालांकि कहा कि लेकिन ऐसा नहीं है कि सीडीएस नहीं होने से समन्वय में कमी की कोई बात है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर पर सेना, वायुसेना, नौसेना में अच्छा समन्वय है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति का सिद्धांत का मतलब यह है कि राजनीतिक नेतृत्व को उस व्यक्ति से सीधे जानकारी प्राप्त हो सके जो परिचालन संबंधी योजना तैयार करता हो, सैन्य संसाधनों की तैनाती से जुड़ा हो, बलों की तैयारी तथा राजनीतिक..सैन्य उद्देश्य को हासिल करने से जुड़े विषयों से जुड़ा हो।
विशेषज्ञों ने बताया कि ऐसे में सेना के तीनों अंगों के संयुक्त परिचालन के लिये चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति बेहद जरूरी है। उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि यह विषय नौकरशाही में उलझ गया है। इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस :आईडीएसए: से जुड़े विशेषज्ञ अजय लेले ने कहा कि सेना के तीनों अंग अभी अलग अलग इकाई के रूप में काम करते हैं और रक्षा मंत्रालय समन्वय का काम करता है। ऐसे समय में जब समन्वित रक्षा स्टाफ मुख्यालय की स्थापना की गई है, तब इसके लिये ज्वायंट चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति जरूरी हो गई है।