A
Hindi News भारत राष्ट्रीय दिल्ली की 90 फीसदी इमारतें अवैध, चुकानी होगी बड़ी कीमत

दिल्ली की 90 फीसदी इमारतें अवैध, चुकानी होगी बड़ी कीमत

अवैध निर्माण की पड़ताल करने के लिये हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ से कहा, अवैध निर्माण व्यापक स्तर पर है।

Delhi Building- India TV Hindi Delhi Building

नयी दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट को आज बताया गया कि दिल्ली को अस्वास्थ्यकर और गंदे रहन-सहन के लिये भारी कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि यहां 90 फीसदी इमारतें अवैध हैं। अवैध निर्माण की पड़ताल करने के लिये हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मिाल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ से कहा, अवैध निर्माण व्यापक स्तर पर है। मौजूदा गड़बड़ी के लिये सरकार और नगर निकायों को जिम्मेदार ठहराते हुए समिति ने कहा है कि शहर को आने वाली पीढ़ियों के लिये अस्वास्थ्यकर और गंदे रहन-सहन के लिये भारी कीमत चुकानी होगी। समिति ने हालांकि कहा, इससे छुटकारा अब भी संभव है। 

अपनी 200 पन्नों से अधिक की रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि दिल्ली में अनुमानत: 40 से 45 लाख ढांचों में से यह सुरक्षित तौर पर कहा जा सकता है कि कम से कम 90 फीसदी इमारतें एक नहीं तो दूसरे मौजूदा भवन उप विधि का उल्लंघन करते हैं। समिति ने कहा, ये उल्लंघन स्वीकृत योजनाओं के बिना निर्माण से लेकर लेआउट लोकेशन प्लान में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) या दिल्ली सरकार की जमीन के तौर पर चिन्हित खुली जमीनों पर निर्माण तक है। 

अदालत ने गत 16 मई को सीबीआई के पूर्व निदेशक आर कार्तिकेयन, इंडिया हैबिटैट सेंटर (आईएचसी) के पूर्व निदेशक आर एम एस लिब्रहान और सेवानिवृत जिला न्यायाधीश रवींद्र कौर को समिति का सदस्य नियुक्त किया था। अदालत ने उन्हें तीनों नगर निगमों की यहां सभी संपत्तियों का निरीक्षण करने और छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। अदालत का निर्देश राष्ट्रीय राजधानी के हरेक कोने में अवैध निर्माण की मौजूदगी का आरोप लगाते हुए दाखिल कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आया था। 

Latest India News