नई दिल्ली: नागरिकता कानून के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया के आसपास के इलाकों में जमकर हिंसा और आगजनी हुई। इस दौरान कई वाहनों में आग लगा दी गई जिनमें 4 बसें भी शामिल थीं। इस हिंसा की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। उनमें से एक वीडियो ऐसा था जिसमें पुलिसकर्मी कैन में कुछ भरकर बस के अंदर फेंक रहे थे। इसी घटना की तस्वीरों के आधार पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दावा किया कि बसों में आग दिल्ली पुलिस ने लगाई थी। आइए, हम जानते हैं कि आखिर सच क्या है।
इंडिया टीवी के संवाददाता पवन नारा जब इस मामले की तह में गए तो सच सामने आ गया। दरअसल, पुलिसकर्मियों ने बस में आग नहीं लगाई थी, बल्कि उन्होंने एक और बस को आग के हवाले होने से बचा लिया था। आप वीडियो में देख सकते हैं कि बस की सीटें जली हुई हैं, हालांकि पुलिसकर्मियों ने वक्त रहते आग को बुझा दिया जिससे कि बस को आग नहीं लग पाई। हालांकि बस के शीशे टूटे हुए थे और वह आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुई थी, लेकिन कोई बड़ा नुकसान होने से बच गया।
इस मामले पर दिल्ली पुलिस का बयान भी सामने आया है। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के डीसीपृ चिन्मय बिस्वाल ने कहा, ‘यह (पुलिस ने जलाई बसें) पूरी तरह से झूठ है। जब भीड़ आग लगा रही थी, तो पुलिस ने वहां के लोगों से पानी मांगकर आग बुझाने का प्रयास किया। जहां तक विशेष बस का सवाल है, पुलिस ने बोतल के पानी का इस्तेमाल कर उसे बचाया।’
इस तरह देखा जाए तो सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में पुलिस आग लगाने का नहीं, बल्कि उसे बुझाने का काम कर रही है। उस वीडियो को लेकर यह दावा कि पुलिस ने बस में आग लगाई, पूरी तरह गलत था। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री
मनीष सिसोदिया भी तस्वीरों को देखकर धोखा खा गए और उन्होंने भी ट्विटर पर इसे शेयर करते हुए दिल्ली पुलिस पर ही आरोप लगा दिए। इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि सोशल मीडिया पर नजर आ रही तस्वीरों या वीडियो पर यकीन करने से पहले उसकी पड़ताल कर लें। ऐसा करके आप नाजुक मौकों पर अफवाह फैलाने के नैतिक जुर्म से बच सकते हैं।
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