नई दिल्ली: दिल्ली के दंगे में जहां बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हुआ वहीं 50 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी। इस दंगे ने लोगों के बीच आपसी विश्वास को कम कर दिया है जिसे बहाल होने में काफी वक्त लगेगा। जिन लोगों ने अपनों को खो दिया उनके जख्म भरने में लंबा वक्त लगेगा।
इस बहस में लोगों ने अपनी-अपनी बात रखी। एक शख्स ने कहा कि बांग्लादेश की इकोनामी कहां तक बढ़ गई और हम पीछे छूट गए जबकि हमने बांग्लादेश के लिए कुर्बानी दी... वहीं कुछ लोगों का कहना था कि समय रहते कदम उठाना चाहिए.. इस देश में ऐसा माहौल बने जिससे लोगों के अंदर विश्वास पैदा हो। जिन लोगों ने देश को तोड़ने की बात की वो इस देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं... उन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
वहीं कुछ लोगों का कहना था कि इस देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो देश में अमन-चैन नहीं चाहते हैं.. वहीं जब कुछ लोगों ने पुलिस पर आरोप लगाए और जब रजत शर्मा ने पुलिस पर हमले की बात कही तो लोगों ने इस बात को माना कि हां पुलिस पर भी हमला हुआ। वहीं इस संवाद के दौरान कुछ लोगों ने भड़काऊ बयान देनेवालों पर कार्रवाई करने की बात कही। अजित डोवल को अगर दंगे के पहले दिन ही क्षेत्र में भेजा जाता तो हालात नहीं बिगड़ते।
संवाद के दौरान यह भी कहा गया कि शरजील इमाम ने भड़काऊ भाषण दिया तो गिरफ्तार कर लिया गया और कपिल मिश्रा ने जब भड़काऊ बात कही तो उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। सरकार के इतने अहम लोग गली-गली वोट मांगने के लिए जा सकते हैं लेकिन लोगों की बात नहीं सुन सकते। हम हिंदुस्तान के अंदर 135 करोड़ लोग एकजुट रहें यही कोशिश होनी चाहिए, कोई किसी कौम को निशाना न बनाए यही प्रयास होना चाहिए।
दिल्ली दंगे के पीड़ितों ने अपने मन की बात इंडिया टीवी पर एडिटर इन चीफ रजत शर्मा के साथ साझा की।
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