दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता बेहद खराब, तस्वीरों में देखिए राजधानी का हाल
दिल्ली के प्रदूषण में शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से निकले धुएं की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत तक पहुंच गयी। सरकारी एजेंसी सफर के अनुसार यह इस साल का सर्वाधिक स्तर है जब राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता का स्तर और गिर गया है।
नई दिल्ली। दिल्ली के प्रदूषण में शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से निकले धुएं की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत तक पहुंच गयी। सरकारी एजेंसी सफर के अनुसार यह इस साल का सर्वाधिक स्तर है जब राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता का स्तर और गिर गया है। प्रदूषण का स्तर अत्यधिक गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है, ऐसे में उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर काम कर रहे पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने शुक्रवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है और निर्माण गतिविधियों पर पांच नवंबर तक रोक लगा दी है।
प्राधिकरण ने कार्यान्वयन एजेंसियों को पंजाब तथा हरियाणा में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तत्काल सख्त कदम उठाने को भी कहा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी इकाई ‘सफर’ के अनुसार शुक्रवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने से निकले धुएं की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत तक पहुंच गयी। सफर ने कहा कि हरियाणा और पंजाब (उत्तर पश्चिम भारत) में पराली जलाने के मामले बढ़ रहे हैं और यह इस साल के सर्वाधिक स्तर (3178) पर है। एजेंसी ने कहा कि निचले स्तर पर हवा की गति, धूल उड़ना और कम आर्द्रता जैसे कुछ अन्य कारण भी हैं जिनके कारण प्रदूषण के लिहाज से हालात प्रतिकूल हैं।
हालांकि सफर के अनुसार एक सकारात्मक घटनाक्रम यह है कि हवा की दिशा पश्चिम की ओर है लेकिन यह राहत थोड़े समय के लिए है। एजेंसी ने कहा, ‘‘एक्यूआई में कल तक मामूली सुधार की उम्मीद है लेकिन इसी गंभीर श्रेणी में। तीन नवंबर तक वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार होने की उम्मीद है जो बहुत खराब स्तर की ऊपरी सीमा तक हो सकता है और चार नवंबर तक बहुत खराब श्रेणी में सुधार की संभावना है।’’
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक अपराह्न तीन बजे 484 के ‘गंभीर’ स्तर पर दर्ज किया गया। पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने कार्यान्वयन एजेंसियों को पड़ोसी राज्यों पंजाब तथा हरियाणा में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तत्काल सख्त कदम उठाने को कहा है।
दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को सभी स्कूलों को पांच नवंबर तक बंद करने का फैसला किया। उच्चतम न्यायालय की ओर से अधिकृत पैनल द्वारा प्रदूषण बढ़ने के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर में जन स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया। क्षेत्र में प्रदूषण ‘ अति गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने के बाद पर्यावरण प्रदूषण (निवारण एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने पांच नवंबर तक निर्माण गतिविधियों और सर्दी के मौसम में पटाखे जलाने पर रोक लगा दी है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित पैनल ने शुक्रवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जन स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा करते हुए पांच नवम्बर तक सभी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया। पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने प्रदूषण के ‘बेहद गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने की वजह से पूरी ठंड के दौरान आतिशबाजी करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को शहर के स्कूली बच्चों से कहा कि पंजाब और हरियाणा में जल रही पराली के कारण यहां वायु प्रदूषण फैल रहा है और इसके लिए वे दोनों राज्य के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर इसे नियंत्रित करने की अपील करें। केजरीवाल ने प्रदूषण से स्कूली बच्चों को बचाने की सरकार की पहल के तहत विद्यार्थियों को मास्क बांटे और उन्हें पराली जलाए जाने के बारे में भी बताया।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली में लगातार गहराते वायु प्रदूषण के कारण हवा की गुणवत्ता में खराबी के लिये पंजाब और हरियाणा पर दोष मढ़ने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आलोचना करते हुये शुक्रवार को कहा कि प्रदूषण के मुद्दे पर राजनीति करना उचित नहीं है। जावड़ेकर ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में विभागीय कामकाज के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआत करते हुये कहा, ‘‘दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रदूषण के विषय पर राजनीति कर रहे हैं। वह आरोप प्रत्यारोप में लगे हैं। दिल्ली के प्रदूषण के लिये पंजाब और हरियाणा को दोष देना ठीक नहीं है।’’
जावड़ेकर ने दलील दी कि दिल्ली में वाहन जनित वायु प्रदूषण हवा की गुणवत्ता को बिगाड़ने की प्रमुख वजह थी। इस पर नियंत्रण के लिये मोदी सरकार ने ‘पेरीफेरल एक्सप्रेस वे’ का निर्माणकार्य पांच साल में पूरा कराया जिसके कारण दिल्ली से होकर दूसरे राज्यों को जाने वाले वाहनों की संख्या में प्रतिदिन लगभग 60 हजार की कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रदूषण के विषय पर राजनीति कर रहे हैं। मैं इस स्तर पर बात नहीं करना चाहता हूं, लेकिन यह जरूर बताना चाहूंगा कि आखिर ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे के लिये 3500 करोड़ रुपये राज्य सरकार को देने थे, वह उन्होंने दिये नहीं। आखिर में अदालत ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वह इस काम के लिये एक हजार करोड़ रूपये दे। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे की वजह से दिल्ली का वाहन जनित प्रदूषण सीधे तौर पर कम होने वाला था ।’’