नई दिल्ली: JNU हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने हिंसा मामले में 37 और लोगों की पहचान की है। ये सभी लोग 'यूनिटी अंगेस्ट लेफ्ट' नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े थे। इसमें 10 बाहरी लोग भी शामिल हैं, जो हिंसा में शामिल बताए जा रहे हैं। अब तक की जांच में पता चला कि दोनों लेफ्ट और राइट गुटों ने हिंसा में बाहरी लड़कों की मदद ली थी। कहा जा रहा है कि जेएनयू स्टूडेंट्स ने ही इन बाहरी उपद्रवियों की कैंपस में एंट्री कराई। ऐसे में पुलिस के शक के दायरे में जेएनयू की सिक्योरिटी भी है।
इतना ही नहीं हिंसा के दौरान CCTV नहीं चलने की वजह से JNU प्रशासन भी जांच के दायरे में आ सकता है। आपको बता दें कि शुक्रवार को ही दिल्ली पुलिस ने 9 नकाबपोशों की पहचान की थी, जिसमें जेएनयू छात्रसंघ नेता आइशी घोष समेत 9 लोगों की पहचान की गई। सभी के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और फॉरेंसिक एविडेंसस जुटाए जा रहे हैं। एविडेंसस जुटाए जाने के बाद जल्द ही सभी पहचाने गए लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, हिंसा में JNU के कुछ प्रोफेसर्स के भी नाम सामने आ सकते हैं। माना जा रहा है कि कुछ ऐसे प्रोफेसर्स के नाम भी पर्दा उठ सकता है, जो इस हिंसा को रोक सकते थे लेकिन उन्होंने इसकी जानकारी होने के बाद भी इसे नहीं रोका। वहीं, जेएनयू के वीसी जगदीश कुमार ने कहा कि छात्रों के सुपरवाइजर क्या कर रहे थे उन्होंने छात्रों को क्यों नहीं समझाया कि जेएनयू प्रशासन उनके लिए कितना फ्लेक्सिबल हो गया है।
जगदीश कुमार ने कहा कि “मैं ऐसे टीचर्स से पूछना चाहता हूं, जो इन प्रदर्शनकारियों के साथ हैं और विश्वविद्यालय में अशांति फैलाना चाहते हैं, वह इस विश्वविद्यालय के भविष्य के लिए क्या कर रहे हैं? क्या आप विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने और इसके विकास को समर्थन करते हैं या इस विश्वविद्यालय का विनाश चाहते हैं। ऐसे टीचर्स देखें कि प्रदर्शनकारियों ने कितना निकसान पहुंचाया है, जिनका ये साथ दे रहे हैं।”
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