नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) खुले तौर पर महिला सशक्तीकरण की बात करती है, लेकिन इस बार फिर से महिलाओं को कैबिनेट में जगह नहीं मिली। यह ध्यान देने योग्य है कि 1993 के बाद से दिल्ली में केवल चार महिला कैबिनेट मंत्री हुई हैं। दिल्ली देश के उन तीन राज्यों में शामिल हैं, जहां दो महिला मुख्यमंत्री हुईं। इन राज्यों में तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश व दिल्ली शामिल हैं। लेकिन दिल्ली में कैबिनेट मंत्रियों में महिलाओं की संख्या कम रही।
दिल्ली की चार कैबिनेट मंत्रियों में - भाजपा की पूर्णिमा सेठी (1998), कांग्रेस की कृष्णा तीरथ (1998-2001) और किरण वालिया (2008-13) और आप की राखी बिड़लान (2013-14)। इनमें से सिर्फ किरण वालिया बतौर कैबिनेट मंत्री अपना कार्यकाल पूरा किया। दिल्ली की तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों -आप, भाजपा व कांग्रेस में से कांग्रेस ने सबसे ज्यादा महिला कैबिनेट मंत्री दिए हैं और लंबे समय के लिए एक महिला मुख्यमंत्री भी दिया।
रविवार को केजरीवाल ने तीसरी बार शपथ लेकर दिवंगत शीला दीक्षित का रिकॉर्ड तोड़ा है। शीला दीक्षित सबसे ज्यादा समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली में कुल सात बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें हाल में हुआ चुनाव भी शामिल है। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी होने के बावजूद शहर की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम ही रहा। आप महिलाओं व समाज में उनके योगदान व उनकी सुरक्षा लेकर मुखर रही है। लेकिन अरविंद केजरीवाल के तीनों कैबिनेट में सिर्फ एक बार महिला विधायक को जगह मिली।
आप की राखी बिड़लान को केजरीवाल के पहले 49 दिनों के कार्यकाल के दौरान महिला और बाल, समाज कल्याण और भाषा मंत्री बनाया गया था। राखी बिड़लान 28, 2013 से 14 फरवरी, 2014 तक मंत्री रहीं। महिलाओं का प्रतिनिधित्व सिर्फ राज्य कैबिनेट में ही कम नहीं रहा, बल्कि दिल्ली विधानसभा में भी कम रहा। दिल्ली विधानसभा में 1993 के पहले चुनाव से लेकर अभी खत्म हुए 2020 के चुनाव तक कुल 39 महिलाएं चुनी गईं।
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