नई दिल्ली: दिल्ली का असली बॉस कौन है, इस विवाद पर जस्टिस सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर अलग-अलग राय आई है। यानी ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार किसे है, इसे लेकर दोनों जजों की राय अलग-अलग है जिसके बाद यह मामला बड़ी बेंच के पास भेजा गया है। जस्टिस सीकरी के अनुसार सेक्रटरी और उससे ऊपर के अधिकारी के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार एलजी के पास रहेगा, जबकि उससे नीचे के अधिकारी सीएम ऑफिस के कंट्रोल में रहेगा।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में एंटी करप्शन ब्यूरो का अधिकार केंद्र सरकार के पास रहने दिया है क्योंकि पुलिस पावर केंद्र सरकार के पास है। जस्टिस सीकरी जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने यह भी कहा कि संविधान पीठ के फैसले को ध्यान में रखना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केजरीवाल सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला नवंबर में ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि केंद्र और दिल्ली सरकार के संवैधानिक अधिकारों की व्याख्या पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ चार जुलाई को ही फैसला सुना चुकी है। उस फैसले में कोर्ट ने चुनी हुई सरकार को प्राथमिकता दी थी। कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल मंत्रिमंडल की सलाह से काम करेंगे।
अगर फिर भी कोई विवाद हो तो मामले को फैसले के लिए राष्ट्रपति को भेज सकते हैं लेकिन स्वतंत्र रूप से कोई निर्णय नहीं ले सकते। वो दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया जरूर हैं लेकिन उनके अधिकार सीमित हैं।
संविधान पीठ के फैसले के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार को कई मामलों में फैसले लेने की छूट मिल गई थी लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग आदि से जुड़े सर्विस के मामलों पर अभी फैसला होना है। पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और ज़मीन के मामले में भी केजरीवाल सरकार ने याचिका दी है।
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