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Hindi News भारत राष्ट्रीय दिल्ली कोर्ट ने शर्जील इमाम के खिलाफ देशद्रोह पर संज्ञान के लिए दिल्ली सरकार की मंजूरी मांगी

दिल्ली कोर्ट ने शर्जील इमाम के खिलाफ देशद्रोह पर संज्ञान के लिए दिल्ली सरकार की मंजूरी मांगी

दिल्ली कोर्ट ने शर्जील इमाम के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत संज्ञान लिया और देशद्रोह पर संज्ञान के लिए दिल्ली सरकार की मंजूरी मांगी है।

Delhi court seeks approval of Delhi government for cognizance of treason against Sharjeel Imam- India TV Hindi Image Source : PTI/FILE Delhi court seeks approval of Delhi government for cognizance of treason against Sharjeel Imam

नई दिल्ली: दिल्ली कोर्ट ने शर्जील इमाम के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत संज्ञान लिया और देशद्रोह पर संज्ञान के लिए दिल्ली सरकार की मंजूरी मांगी है। शर्जील अभी असम की जेल में बंद है और उसे कोरोना है इसलिए उसे 1 सितंबर को अदालत में पेश करने के आदेश दिए गए है। दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम को यहां की एक अदालत में देशद्रोह के मामले में आरोपित किया है। उस पर लोगों को कथित तौर पर ऐसी गतिविधियों में शामिल करने के लिए भड़काने का आरोप है जो देश की संप्रभुता एवं एकता के खिलाफ हैं। पुलिस ने इस वर्ष की शुरुआत में सीएए विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में अदालत में पेश आरोपपत्र में ये आरोप लगाए हैं। 

एजेंसी ने अंतिम रिपोर्ट दायर की जिसमें भादंसं की विभिन्न धाराएं शामिल हैं जैसे 124-ए (देशद्रोह), 153 (ए) (शत्रुता को बढ़ावा देना), 153-ए (शत्रुता को बढ़ावा देना, समुदायों के बीच घृणा फैलाना), 153-बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ वक्तव्य) और 505 (अफवाह फैलाना)। उस पर अवैध गतिविधियां (निवारण) कानून के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। 

आरोपपत्र में कहा गया है, ‘‘उस पर देश के खिलाफ भाषण देने और एक विशेष समुदाय को अवैध गतिविधियों में शामिल होने के लिए भड़काने का आरोप है जो राष्ट्र की संप्रभुता और एकता के खिलाफ हैं।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध की आड़ में उसने एक विशेष समुदाय के लोगों को राजमार्ग बाधित करने के लिए उकसाया और ‘चक्का जाम’ कराया जिससे सामान्य जनजीवन बाधित हुआ।’’ 

इसमें आरोप लगाया गया है कि इमाम ने खुलेआम संविधान का उल्लंघन किया और इसे ‘‘फासीवादी’’ दस्तावेज बताया। इसमें बताया गया है, ‘‘सीएए के विरोध के नाम पर उसने खुलेआम दुष्प्रचार किया कि ‘चिकेन नेक’ को जाम किया जाए जो पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ता है। उसने प्रदर्शन के लोकतांत्रित तरीकों का भी अपमान किया।’’ अदालत मामले में 27 जुलाई को सुनवाई कर सकती है। 

इमाम पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 13 दिसम्बर और इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 16 जनवरी को कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने की जांच चल रही है, जहां उसने कथित तौर पर धमकी दी कि असम और शेष पूर्वोत्तर राज्यों को भारत से ‘‘अलग कर दिया जाए।’’ पुलिस ने इससे पहले अदालत को बताया था कि 13 दिसम्बर के उसके भाषण के बाद दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर आगजनी और हिंसा हुई और 16 जनवरी के उसके भाषण के बाद कई जगह प्रदर्शन शुरू हो गए। वर्तमान में वह गुवाहाटी जेल में बंद है और कोरोना वायरस से संक्रमित है। 

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