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Hindi News भारत राष्ट्रीय दिल्ली की अदालत ने आर के पचौरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में आरोप तय किए

दिल्ली की अदालत ने आर के पचौरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में आरोप तय किए

दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को टेरी के पूर्व प्रमुख आर के पचौरी पर उनकी एक पूर्व सहयोगी द्वारा दर्ज कराए गए कथित यौन उत्पीड़न मामले में छेड़छाड़ के आरोप तय किए।

Delhi court frames charges against RK Pachauri in sexual harassment case- India TV Hindi Delhi court frames charges against RK Pachauri in sexual harassment case

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को टेरी के पूर्व प्रमुख आर के पचौरी पर उनकी एक पूर्व सहयोगी द्वारा दर्ज कराए गए कथित यौन उत्पीड़न मामले में छेड़छाड़ के आरोप तय किए। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट चारु गुप्ता ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354 ए, तथा 509 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए पचौरी पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया। अदालत कक्ष में मौजूद पचौरी के खुद को निर्दोष बताने एवं मुकदमे का सामना करने के लिए कहने के बाद ये आरोप तय किए गए। आरोपी की ओर से पेश हुए वकील आशीष दीक्षित ने मामले की तेजी से सुनवाई की मांग की। 

वकील ने पचौरी की ओर से कहा, ‘‘मेरी (पचौरी) आयु 78 वर्ष है और मैं और मेरा परिवार मुश्किलों का सामना कर रहा है। लगभग चार वर्षों से हम मीडिया ट्रायल (मीडिया द्वारा मामले के गुणदोष पर जिरह करने) का सामना कर रहे हैं।’’ इसके बाद अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए चार जनवरी 2019 की तारीख तय की। अदालत ने इसके साथ ही शिकायतकर्ता को मामले की अगली सुनवायी वाली तिथि को बयान दर्ज कराने के लिए समन किया। गत 14 सितम्बर को अदालत ने पचौरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 बी, 354 डी और 341 के तहत आरोप से आरोपमुक्त कर दिया था। 

आज के घटनाक्रम पर शिकायतकर्ता ने कहा, ‘‘अपने वकीलों से बात की और सभी पहलुओं को समझा, विशेष तौर पर तीन आरोपों को शामिल करने के बारे में चुनौती देने के लिए (जिसमें पचौरी को आरोपमुक्त कर दिया गया है)। उपरोक्त अवधि के दौरान उपस्थित रहने के लिए पूरी व्यवस्था की है...सच्चाई की जीत होगी।’’ पचौरी के खिलाफ 13 फरवरी 2015 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई और उन्हें इस मामले में 21 मार्च 2015 को अग्रिम जमानत मिल गई। 

टेरी के पूर्व प्रमुख ने इससे पहले अतिरिक्त जिला न्यायाधीश से एक अंतरिम आदेश प्राप्त कर लिया था जिसमें मामले की कवरेज को इस शीर्षक के साथ प्रकाशित एवं प्रसारित करना मीडिया के लिए अनिवार्य कर दिया गया था कि ‘‘किसी भी अदालत में आरोप साबित नहीं हुए हैं और हो सकता है कि वे सही नहीं हों।’’ इस आदेश में यह भी कहा गया, “जब भी इस तरह की सूचना किसी भी पत्रिका या खबर में प्रकाशित हो तो पृष्ठ के बीच में मोटे अक्षरों में यह लिखा होना चाहिए तथा प्रकाशित लेख के फॉन्ट से पांच गुणा ज्यादा बड़े फॉन्ट में लिखा होना चाहिए।’’ 

दिल्ली पुलिस द्वारा एक मार्च 2016 को दाखिल 1400 पन्नों के आरोपपत्र में कहा गया है कि पचौरी के खिलाफ “पर्याप्त साक्ष्य” हैं कि उन्होंने शिकायतकर्ता का यौन उत्पीड़न किया, पीछा किया और डराया-धमकाया। मार्च 2017 में एक पूरक आरोपपत्र दायर किया गया जब पुलिस ने कहा कि कई डिलीट की गई ईमेल और चैट फिर से प्राप्त कर ली हैं जिनका आदान-प्रदान आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच हुआ था। अंतिम रिपोर्ट में कहा गया कि फोन, कंप्यूटर हार्ड डिस्क एवं अन्य उपकरणों से पुन: हासिल किए गए व्हाट्सएप चैट, संदेश “गढ़े हुए नहीं” हैं।

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