नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। हालांकि, तेज हवाओं के कारण रविवार से इसमें उल्लेखनीय सुधार आने की उम्मीद है। शनिवार को सुबह नौ बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 377 दर्ज किया गया। शुक्रवार को यह आंकड़ा 370 था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। दिवाली के समय से ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण काफी बढ़ गया है। हल साल इस समय में यही स्थिति बनती है। इस प्रदूषण में हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली का धुंआ भी मिला होता है.
दिल्ली से सटे गाजियाबाद (346), गुड़गांव (348) और नोएडा (357), ग्रेटर नोएडा (320) और फरीदाबाद (347) में भी शनिवार को वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गयी। बता दें कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘‘अच्छा’’, 51 और 100 के बीच एक्यूआई को ‘‘संतोषजनक’’, 101 और 200 के बीच ‘‘मध्यम’’, 201 और 300 के बीच ‘‘खराब’’, 301 और 400 के बीच ‘‘बेहद खराब’’ तथा 401 और 500 के बीच एक्यूआई को ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में माना जाता है।
वहीं, दिल्ली में वायु प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने मेट्रो ट्रेनों, बसों में खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति दे दी है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल कर सकें।
प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र उल्लंघन पर दिल्ली में एक से 17 नवंबर के बीच 3446 चालान हुए
दिल्ली में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच दिल्ली परिवहन विभाग ने वैध पीयूसी (प्रदूषण नियंत्रण) प्रमाण पत्र के बिना वाहन मालिकों को दंडित करने के लिए प्रवर्तन अभियान तेज कर दिया है और एक से 17 नवंबर के बीच 3.5 करोड़ रुपये से अधिक के लगभग 3,500 चालान जारी किए गए हैं।
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर में विभाग की प्रवर्तन शाखा के दस्तों ने 8,25,681 वाहनों की जांच की और 9.5 करोड़ रुपये से अधिक के 9,522 चालान जारी किए। इसके अलावा इसी महीने में आठ लाख से अधिक प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाण पत्र जारी भी किए गए।
मोटर वाहन अधिनियम 1993 के अनुसार, वैध पीयूसी प्रमाण पत्र नहीं रहने पर वाहन मालिकों का धारा 190 (2) के तहत चालान किया जा सकता है, जिसके लिए छह महीने तक की कैद या 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
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