नयी दिल्ली: दिल्ली की वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई और शुक्रवार को इसके और भी खराब होने की आशंका है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि शुक्रवार से हवा की दिशा बदलने से स्थिति और खराब हो सकती है। दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे 382 रहा, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। वहीं यह गाजियाबाद में 432, ग्रेटर नोएडा में 417 और नोएडा में 414 रहा, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। पीएम 2.5 का स्तर रात आठ बजे तक बढ़कर 245 हो गया। यह 0-60 की सुरक्षित सीमा से छह गुना ज्यादा था। इसके बढ़ने से फेफड़े प्रभावित होते हैं।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने का मौसम लगभग खत्म हो गया है लेकिन हवा की गति कम होने और तापमान गिरने से वायु की गुणवत्ता खराब होने का अंदेशा था। निजी मौसम पूर्वानुमान स्काइमेट वेदर में वैज्ञानिक महेश पलावत ने कहा कि यह दिखाता है कि मौसम की स्थितियां हवा को साफ रखने में बहुत अहम भूमिका निभाती हैं। पराली जलाना खत्म हो गया है। बृहस्पतिवार को दिल्ली में जो स्मॉग था, वो प्रदूषक और नमी थी। सरकारी वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान (सफर) ने कहा कि बृहस्पतिवार को दिल्ली के 2.5 प्रदूषक में नौ प्रतिशत हिस्सा पराली जलाने का था और इसके शुक्रवार को गिरकर तीन फीसदी होने के आसार हैं।
मौसम विभाग में क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि पारे में गिरावट और हवा की रफ्तार हल्की होने से प्रदूषकों का जमाव हुआ और उच्च आर्दता से स्थिति और खराब हुई। मौसम विभाग में वरिष्ठ वैज्ञानिक वी.के. सोनी ने कहा कि क्षेत्र में अगले पांच दिनों तक हवा की रफ्तार कम रह सकती है। शुक्रवार से वायु की दिशा में बदलाव होने की संभावना है जिससे प्रदूषण और बढ़ेगा। सोनी ने कहा कि एक्यूआई शुक्रवार को ‘गंभीर’ श्रेणी के निचले छोर तक गिर सकता है। 11 दिसंबर को बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना है जिससे कुछ राहत मिल सकती है। इस बीच सीपीसीबी नीत कार्यबल ने बृहस्पतिवार को दिल्ली-एनसीआर की सभी एजेंसियों से हाई अलर्ट पर रहने और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उपाय करने को कहा।
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