नयी दिल्ली: एम्स दिल्ली के मेस में काम करने वाले एक कर्मचारी की कोरोना वायरस से मौत हो गई है। मेस कर्मचारी को सांस लेने में दिक्कत की वजह से एम्स में ही ऐडमिट किया गया था। शुक्रवार को इस बात की जानकारी देते हुए रेजिडेन्ट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) ने आरोप लगाया कि हॉस्टल प्रशासन ने एक महीने से ज्यादा समय से एहतियाती उपाय बरतने की उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया, जिससे कोरोना संक्रमण के चलते मेस कर्मचारी की मौत हो गई।
एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया कि हॉस्टल सुपरिटेंडेंट ने मामले को ‘संभावित दिल का दौरा पड़ने’ की तरह पेश किया और सुपरिटेंडेंट तथा सीनियर वार्डन के इस्तीफे की मांग की। एम्स निदेशक को पत्र लिखकर RDA ने कहा, ‘RPC कैंटीन के एक मेस कर्मचारी की कोविड-19 से मौत हो गई क्योंकि एक महीने से भी ज्यादा समय पहले एहतियाती उपाय बरतने की RDA की मांग की तरफ छात्रावास ने ध्यान नहीं दिया।’ RDA ने थर्मल स्कैनर, सैनिटाइजर, मास्क आदि जैसे सुरक्षा उपाय तथा नियमित जांच की मांग की थी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि मेस के कर्मचारी सुरक्षित रूप से काम कर सकें।
चिट्ठी में लिखा गया, ‘ये मांगें नहीं मानी गईं जिसका ऐसा घातक परिणाम हुआ है।’ इसने एम्स प्रशासन ने मेस कर्मचारी के परिजन को मुआवजा देने की मांग की जो महामारी के दौरान उनकी ‘सेवा’ में जुटा हुआ था। आरडीए अध्यक्ष आदर्श प्रताप सिंह और महासचिव श्रीनिवास राजकुमार टी. के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है, ‘हॉस्टल सुपरिटेंडेंट ने सुबह की समीक्षा बैठक में मौत को संभावित दिल का दौरा पड़ने जैसा पेश करने का प्रयास किया। आरडीए एम्स छात्रावास अधीक्षक और वरिष्ठ वार्डन ने इसके लिए नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांग करता है।’ (भाषा)
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