कश्मीर दौरे पर है यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल, 'जमीनी हालात' और स्थिति के बारे में दी गई जानकारी
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के बाद राज्य के ताजा हालात का जायजा लेने के लिए यूरोपीय संघ के 23 सांसदों का एक शिष्टमंडल मंगलवार को यहां पहुंचा।
श्रीनगर: यूरोपीय संघ (ईयू) के 23 सांसदों का एक शिष्टमंडल जम्मू कश्मीर में हालात का जायजा लेने के लिए मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचा। हवाई अड्डे से होटल तक के रास्ते में बुलेट प्रूफ जीपों में यात्रा कर रहे सांसदों की हिफाजत के लिए सुरक्षा वाहनों का एक काफिला भी था। सांसदों के होटल पहुंचने पर कश्मीर की परंपरा के अनुसार उनका स्वागत किया गया। घाटी और जम्मू कश्मीर के अन्य हिस्से में हालात पर वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने टीम को अवगत कराया और आम लोगों के प्रतिनिधिमंडलों के साथ भी उनकी मुलाकात हुईं।
अधिकारियों ने बताया कि शहर में पूरी तरह बंद है और श्रीनगर तथा घाटी के अन्य हिस्सों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच कुछ जगह झड़पों में कम से कम चार लोग घायल हो गए। लोगों ने 90 फुट रोड सहित श्रीनगर के कम से कम पांच स्थानों पर सड़क को अवरूद्ध कर दिया। झड़पों के कारण दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे और सड़कों से गाड़ियां भी नदारद रहीं।
अधिकारियों ने बताया कि पिछले हफ्ते से स्टॉल लगाने वाले दुकानदार भी मंगलवार को नहीं आए। हालांकि, 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा तय कार्यक्रम के अनुसार हुई । कई अभिभावक परीक्षा हॉल के बाहर अपने बच्चों का इंतजार कर रहे थे। पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने की केंद्र सरकार की घोषणा के बाद यह पहला उच्च स्तरीय विदेशी शिष्टमंडल कश्मीर के दौरे पर आया है। अधिकारियों ने विस्तार से कारण बताये बिना कहा कि इस दल में मूल रूप से 27 सांसदों को होना था लेकिन इनमें से चार कश्मीर नहीं आए। बताया जाता है कि ये सांसद अपने-अपने देश लौट गए।
यूरोपीय संसद के इन सदस्यों ने अपनी दो दिवसीय कश्मीर यात्रा के पहले, सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नयी दिल्ली में मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी ने इनका स्वागत करने के साथ उम्मीद जताई कि जम्मू कश्मीर सहित देश के अन्य हिस्सों में उनकी यात्रा सार्थक रहेगी।
पीएमओ ने एक बयान जारी करके कहा,‘‘इस दौरे से शिष्टमंडल को जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की सांस्कृतिक एवं धार्मिक विविधता को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही वे इस क्षेत्र के विकास एवं शासन से संबंधित प्राथमिकताओं की सही स्थिति से अवगत होंगे।’’ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मेहमानों को दोपहर का भोज दिया और उन्हें जम्मू कश्मीर के हालात की जानकारी दी थी।
कुछ सप्ताह पहले अमेरिका के एक सीनेटर को कश्मीर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। करीब दो महीने पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित विपक्षी सांसदों के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली से जाने पर श्रीनगर हवाई अड्डे से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी गयी और उन्हें वापस दिल्ली भेज दिया गया था।