नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भारत और चीन के बॉर्डर पर मौजूदा हालात, सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों और सरकार की चीन से की गई बात पर संसद को जानकारी दी। रक्षामंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि भारत और चीन की सीमा का प्रश्न अभी तक हल नहीं हुआ है और भारत और चीन ने माना है कि सीमा का प्रश्न एक जटिल मुद्दा है और इसका समाधान शांतिपूर्ण बात से होना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनो पक्षों ने मान लिया है कि द्वीपक्षीय संबंधों के लिए सीमा पर शांति जरूरी है
शांति के लिए दोनो देशों के बीच कई समझौते और प्रोटोकॉल हैं।
रक्षामंत्री ने कहा कि इस साल अप्रैल से लद्दाख सीमा पर चीन की सेना की संख्या और हथियारों में वृद्धि देखी गई, इसके बाद मई में चीन के सैनिकों ने हमारे सैनिकों की पेट्रोलिंग को रोकने का प्रयास किया और उससे दोनो तरफ के सैनिकों के बीच फेस ऑफ की क्स्थिति पैदा हुई। रक्षा मंत्री ने बताया कि कई स्थानों पर LAC पर चीन के सैनिकों ने सीमा पार करने की कोशिश की गई और हमारी सेनाओं ने उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई भी की।
रक्षामंत्री ने बताया कि भारत ने चीन को डिप्लोमैटिक तथा सैनिक माध्यम से बताया है कि इस प्रकार की गतिविधियां स्टेटस को को बदलने का प्रयास है और यह प्रयास हमें मंजूर नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनो तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून को बैठक की और तय हुआ कि डिसएंगेजमेंट किया जाए, दोनो पक्ष LAC को मानने और पर राजी हुए लेकिन 14 जून को चीन ने फिर प्रयास किया और हमारे बहादुर सैनिकों ने अपना बलिदान दिया और चीन को भारी नुकसान पहुंचाया तथा सीमा को सुरक्षित रखा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे जवानों ने जहां संयंम की जरूरत थी वहां संयम रखा जहां शौर्य की जरूरत थी वहां शौर्य दिखाया।
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि 29-30 अगस्त को एक बार फिर से चीन की तरफ से स्टेटस को को बदलने का प्रयास हुआ और हमारी सेनाओं ने एक बार फिर उनके प्रयास को विफल किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन की फिर से हुई हिमाकत साफ बताती है कि वह दोनो देशों के बीच हुए समझौतों को नहीं मानता है। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि मौजूदा स्थिति में कई संवेदनशील पहलू हैं इसलिए उसका ज्यादा खुलासा नहीं किया जा सकता।
सदन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कोरोना के बावजूद हमारी सेना और आईटीबीपी का तेजी से डिप्लॉयमेंट हुआ है क्योंकि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे बॉर्डर एरिया में मौजूदा मुद्दों का हल शांतिपूर्वक किए जाने के लिए कटिबद्ध है। इसी उद्देश्य से मैं चीन के रक्षामंत्री से मिला और 4 सितंबर को मुलाकात की गई और उस मुलाकात में साफ किया गया कि हम मुद्दे का शांति से हल चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि चीन इसमें सहयोग करे लेकिन हमने यह भी साफ कर दिया कि भारत की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं होगा।
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