फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी को याद कर रहा देश, देखिए उनकी शानदार तस्वीरें
म्यामां के अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय द्वारा सामना किये जाने वाली हिंसा को तस्वीरों में उतारने का काम करने को लेकर उन्हें अपने एक साथी फोटो पत्रकार अदनान आबिदी और पांच अन्य के साथ पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था।
नई दिल्ली. समाचार एजेंसी रॉयटर के लिए काम करने वाले पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी शुक्रवार को अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में पाकिस्तान से लगे एक ‘बॉर्डर क्रॉसिंग’ के पास अफगान सैनिकों और तालिबान आतंकवादियों के बीच भीषण लड़ाई की कवरेज करने के दौरान मारे गए। सिद्दीकी (38) अशांत कंधार क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से संघर्ष की कवरेज कर रहे थे। सिद्दकी को उनके काम के लिए पूरे देश में पत्रकार वर्ग याद कर रहा है। आइए आपको दिखाते हैं उनके द्वारा ट्विटर पर पोस्ट की गईं शानदार तस्वीरें।
एक अफगान कमांडर ने रॉयटर को बताया कि अफगान विशेष बल कंधार प्रांत के पास स्पिन बोलदाक के मुख्य बाजार इलाके को फिर से अपने नियंत्रण में करने के लिए संघर्ष में जुटे हुए थे, तभी सिद्दीकी और एक वरिष्ठ अफगान अधिकारी इसकी चपेट में आकर मारे गये। बताया जा रहा है कि तालिबान की ओर से चली गोली लगने से उनकी मौत हुई। यह घटना कंधार प्रांत में पाकिस्तान से लगे एक बार्डर क्रॉसिंग के पास हुई।
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) के मुताबिक 1992 से 2021 के बीच अफगानिस्तान में कुल 53 पत्रकार मारे गये हैं। सिद्दीकी मुंबई में रहा करते थे। उन्हें रॉयटर के फोटोग्राफी स्टाफ के सदस्य के तौर पर पुलित्जर पुरस्कार मिला था। उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था और 2007 में जामिया के एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से जनसंचार की पढ़ाई की थी।
वह 2010 में रॉयटर से जुड़े थे। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत संवाददाता के तौर पर की थी, जिसके बाद वह फोटो पत्रकारिता में चले गये और 2010 में इंटर्न के तौर पर रॉयटर में शामिल हुए। उन्हें 2018 में फीचर फोटोग्राफी के लिए प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार मिला था।
म्यामां के अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय द्वारा सामना किये जाने वाली हिंसा को तस्वीरों में उतारने का काम करने को लेकर उन्हें अपने एक साथी फोटो पत्रकार अदनान आबिदी और पांच अन्य के साथ पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने अफगान संघर्ष, हांगकांग प्रदर्शन और एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप में अन्य बड़ी घटनाओं को व्यापक रूप से कवर किया था। अमेरिका में हुए 9/11 हमलों के बाद तालिबान को 2001 में अमेरिका नीत बलों ने सत्ता से बेदखल कर दिया था।
अब अमेरिका अपने सैनिक अफगानिस्तान से हटा रहा है, ऐसे में तालिबान लड़ाके देश के विभिन्न हिस्सों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। अफगानिस्तान से अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों का बड़ा हिस्सा हटा लिये जाने पर पिछले हफ्तों में वहां सिलसिलेवार आतंकी हमले हुए हैं। अमेरिका ने 31 अगस्त तक अपने सैनिकों की पूर्ण वापसी की समय सीमा निर्धारित की है।
आपको बता दें कि अमेरिका अपने सैनिकों को 31 अगस्त की समय सीमा से पहले अफगानिस्तान से हटा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यह समय सीमा निर्धारित की थी। अफगानिस्तान से 20 साल बाद विदेशी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान देश में सरकारी बलों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों पर तेजी से अपना कब्जा जमा रहा है, जिससे गृह युद्ध की संभावना बन गई है।
तालिबान ने इस हफ्ते स्पिन बोलदाक जिले पर कब्जा कर लिया था। कंधार में और खासतौर पर स्पिन बोलदाक जिले में पिछले कुछ दिनों से भीषण लड़ाई जारी है। स्पिन बोलदाक में एक प्रमुख सीमा पर तालिबान लड़ाकों के कब्जा करने के बाद पाकिस्तान ने इस हफ्ते बलूचिस्तान प्रांत में चमन सीमा पर फ्रेंडशिप गेट क्रासिंग बंद कर दिया था। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू होने के बाद सरकारी बलों और तालिबान के बीच झड़पें तेज हो गई हैं। तालिबान ने हाल में दावा किया था कि उसके लड़ाकों ने अफगानिस्तान में 85 प्रतिशत क्षेत्र पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया है।