भारत ने मुझे कभी भी चीन के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया: दलाई लामा
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर बीजिंग के कड़े विरोध के बीच दलाईलामा ने बुधवार को कहा कि भारत ने उनका इस्तेमाल कभी भी चीन के खिलाफ नहीं किया।
बोमडिला (अरुणाचल प्रदेश): तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर बीजिंग के कड़े विरोध के बीच दलाईलामा ने बुधवार को कहा कि भारत ने उनका इस्तेमाल कभी भी चीन के खिलाफ नहीं किया। उन्होंने चीन से तिब्बत को 'स्वशासन' तथा 'स्वायत्तता' प्रदान करने का अनुरोध किया। अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर बीजिंग की आपत्ति के प्रतिक्रियास्वरूप शांति के नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, "चीन में कई लोग हैं, जो भारत से प्रेम करते हैं, लेकिन अपने विचारों के कारण कुछ संकीर्ण मानसिकता के राजनीतिज्ञ हैं..वे मुझे शैतान मानते हैं।"
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चीन को चुनौती देने के लिए उनका इस्तेमाल कूटनीतिक फायदे के लिए करने के बयान को खारिज करते हुए तिब्बती गुरु ने कहा, "मैं भारत में बेहद लंबे समय से मेहमान के रूप में रह रहा हूं। भारत ने कभी भी मुझे चीन के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया।"
तिब्बत के रूख पर उन्होंने कहा, "हम आजादी नहीं मांग रहे हैं। हम चीन के लोगों के साथ रहने के बेहद इच्छुक हैं। मैं हमेशा यूरोपीय संघ की भावना, एक राष्ट्र तथा व्यक्तिगत संप्रभुता के बारे में बातें करता था, लेकिन यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जो महत्वपूर्ण है वह है साझा हित।"
उन्होंने कहा, "तिब्बत भौतिक रूप से भले ही पिछड़ा है, लेकिन आध्यात्मिक रूप से वह बेहद समृद्ध है। भौतिक रूप से विकास के लिए हमें चीन के साथ रहने की जरूरत है, क्योंकि यह हमारे हित में है। सरकार (चीन) को परस्पर लाभ के लिए अच्छा महसूस करना चाहिए।"
तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने हालांकि कहा, "चीन को हमें अर्थपूर्ण स्वशासन, स्वायत्तता प्रदान करना चाहिए तथा तिब्बत के पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। चीन में तिब्बती बौद्धों की संख्या सर्वाधिक है। कई चीनी बुद्धिजीवी हमारी मांगों का समर्थन करते हैं।"
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने दलाईलामा की यात्रा पर विरोध जताया और कहा कि बीजिंग भारत से इस बारे में कड़ा विरोध दर्ज करेगा।
चीन ने दलाईलामा की यात्रा को लेकर भारत के राजदूत विजय गोखले के समक्ष अपना विरोध दर्ज किया।
वहीं, भारत ने मंगलवार को कहा कि दलाईलामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे के पीछे उसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है और चीन को उसके आपसी मामलों में दखलंदाजी न देने की नसीहत दी थी।