नई दिल्ली. देश में इस वक्त कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा चरण चल रहा है, जिसके तहत 18+ आयु वाले लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है। कई राज्यों की केंद्र सरकार से मांग है कि उन्हें कोविन के बजाय अपने खुद के पोर्टल से लोगों को वैक्सीन लगाने की मंजूरी दी जाए। इस बीच कोविन द्वारा दिए जा रहे डिजिटल सर्टिफिकेट को लेकर कुछ लोगों के मन में सवाल है। आज इंडिया टीवी पर वैक्सीन कमेटी के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा कि सर्टिफिकेशन का अर्थ है कि आप वैक्सिनेट हो गए हैं, इस सर्टिफिकेट में खासियत है कि यह डिजिटली वेरिफाइड है, इसका सोर्स पता किया जा सकता है, कोई भी इस सर्टिफिकेट को जारी हीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि अगर कोई फर्जी सर्टिफिकेट दिखाता है तो उसे पकड़ा जा सकता है। इस सर्टिफिकेट की बहुत उपयोगिता है, इसे WHO के स्टैंडर्ड FIAR के तहत बनाया गया है, यह सर्टिफिकेट विदेश में भी मान्य होगा। अगर किसी कंपनी का कोई कर्मचारी विदेश जाता है और वह वैक्सीनेट है तो इस सर्टिफिकेट को दिखाकर साबित कर सकता है कि उसे वैक्सीन लग चुकी है।
जब उनसे सवाल किया गया कि कुछ लोग कहते है कि कोविन प्लेटफॉर्म की जरूरत क्या थी, तो उन्होंने इसके जवाब में कहा कि इतने बड़े स्तर का काम और उस देश में जहां पर दुनिया की की आबादी का छठा हिस्सा रहता है वहां पर हम अगर इस तरह का सिस्टम नहीं बनाते जो पारदर्शी हो तो वैक्सीनेशन नहीं चलता।
उन्होंने कहा कि आज अगर कोई सिस्टम नहीं होता और लोग भीड़ लगाकर वैक्सीन लगाने के लिए जुटते जिससे हाहाकार मच जाता। किसी ने अगर कोवैक्सीन लगवाई है तो कितने दिन बाद उसे वही वैक्सीन लगवानी है यह भी जानकारी रखना जरूरी है। साथ में लोगों के दृष्टिकोण से पारदर्शिता जरूरी है, यह सनिश्चित करना जरूरी है कि हर क्षेत्र में कितनी वैक्सीन लग चुकी है।
आरएस शर्मा ने कहा कि इस कोविन पोर्टल के 4 मुख्य अंग हैं। पहला अंग है जो सिर्फ पंजीकरण करता है और पंजीकरण बहुत सरल है। दूसरा जरूरी कंपोनेंट है कि जब वैक्सीन लगती है तो अस्पताल में आपकी पहचान, उम्र को वैरिफाई किया जाता है। तीसरा यह है कि अस्पताल को बताना होगा कि कौन की सी वैक्सीन किस दाम पर किस दिन लगाएंगे। इस जानकारी को देना अस्पतालों को जरूरी है, चौथा है कि जैसे ही वैक्सीन लगने का सर्टिफिकेट मिल जाता है।
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