सिंगल डोज रूसी Sputnik Light वैक्सीन 79.4 फीसदी तक प्रभावी : RDIF
रूस की सिंगल डोज वैक्सीन Sputnik Light को भारत में इस्तेमाल की मंजूरी से पहले रूस के दावे का परीक्षण किया जाएगा। रूस में शोध से जो नतीजे सामने आएं हैं उस डेटा का भारत में परखा जाएगा और साइंटिफिक डेटा के हिसाब से उसे मंजूरी दी जाएगी।
नई दिल्ली: रूस की सिंगल डोज वैक्सीन Sputnik Light को भारत में इस्तेमाल की मंजूरी से पहले रूस के दावे का परीक्षण किया जाएगा। रूस में शोध से जो नतीजे सामने आएं हैं उस डेटा का भारत में परखा जाएगा और साइंटिफिक डेटा के हिसाब से उसे मंजूरी दी जाएगी। वहीं रूस में Sputnik V वैक्सीन के निमार्ताओं ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सिंगल डोज की Sputnik Light वैक्सीन ने कोविड-19 के खिलाफ 79.4 फीसदी प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया है। यह कोरोना के सभी नई स्ट्रेन के खिलाफ काफी असरकारक साबित हुई है। विदेश में वैक्सीन की मार्केटिंग करने वाले प्रभावशाली और खास दर्जा रखने वाले वेल्थ फंड रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के अनुसार Sputnik Light Sputnik V कोरोना वायरस वैक्सीन का पहला घटक (यह रिकंबाइनेंट ह्यूमन एडिनोवायरस सीरोटाइप नंबर 26 (आरएडी26) है)।
आरडीआईएफ ने एक बयान में कहा, "Sputnik Light वैक्सीन लगाने के 28 दिन बाद संकलित किये गए आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार सिंगल डोज की Sputnik Light वैक्सीन ने 79.4 फीसदी प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया है। दो डोज में लगाई जाने वाली कई वैक्सीन की तुलना में Sputnik Light वैक्सीन की प्रभावशीलता की दर करीब 80 फीसदी ज्यादा है।" प्रयोगशाला परीक्षण के दौरान गामलेया सेंटर द्वारा जैसा प्रदर्शित किया गया है, उसके अनुसार Sputnik Light वैक्सीन कोरोना वायरस के सभी नए स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है।
इसकी प्रभावशीलता की दर की गणना रूस के लोगों को लगाई गई सिंगल वैक्सीन के आंकड़ों के आधार पर की गई थी। 5 दिसंबर से 15 अप्रैल तक चलाए गए वैक्सिनेशन के व्यापक अभियान के दौरान इन रूसी नागरिकों ने अभी तक किसी न किसी कारण से दूसरी वैक्सीन नहीं ली है। आरडीआईएफ के सीईओ किरिल द्मीत्रिएव ने कहा, "Sputnik Light वैक्सीन केवल एक इंजेक्शन से कोरोना के मामलों के गंभीर होने की संभावना को काफी कम करती है। कोरोना के गंभीर मामलों के कारण मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। एक खुराक की यह वैक्सीन थोड़े समय में बड़े समूहों के टीकाकरण की चुनौती को हल करती है। यह खासतौर पर कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के गंभीर चरण के दौरान काफी महत्वपूर्ण है। इससे समुदायों का काफी तेजी से वैक्सिनेशन किया जा सकता है।"
डॉ. अमीर उल्लाह खान, तेलंगाना सरकार के एमसीआरएचआरडीआई में अर्थशास्त्री और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउन्डेशन के पूर्व वरिष्ठ सलाहकार के अनुसार, "आबादी के अधिकतम हिस्से को टीका लगना सुनिश्चित करने के लिए भारत बड़े पैमाने पर टीकाकरण चला रहा है। मुझे आशा है कि सिंगल डोज वैक्सीन Sputnik Light का प्रयोग करने से कोविड-19 के विरुद्ध भारत की लड़ाई में मजबूती आयेगी और कम समय में ज्यादा लोगों को टीका लग सकेगा। हालाँकि डबल डोज Sputnik V का उत्पादन भारत में हो रहा है, तो भी Sputnik Light टीकाकरण प्रक्रिया को तेज करने में एक अतिरिक्त सहारा होगा।"
द्मित्रिएव ने आगे कहा, "कोरोना के खिलाफ चल रही जंग और कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को देखते हुए Sputnik Light वैक्सीन का निर्यात अंतरराष्ट्रीय साझीदारों को किया जाएगा। इससे कई देशों में वैक्सिनेशन की दर बढ़ाने में मदद मिलेगी।" रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय, गामलेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी और आरडीआईएफ के अनुसार Sputnik Light वैक्सीन को रूस में इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई है।
21 फरवरी को गामलेया सेंटर और आरडीआईएफ ने दुनिया भर में Sputnik Light की प्रभावशीलता का अध्ययन करने के लिए स्टडी की शुरूआत की। तीसरे चरण की क्लिनिकल स्टडी कई देशों में 7 हजार लोगों पर की गई। इन देशों में रूस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और घाना शामिल हैं। आरडीआईएफ ने कहा कि Sputnik Light वैक्सीन एक अच्छी तरह से स्टडी किए गए ह्यूमन एडिनोवायरल प्लेटफॉर्म पर आधारित है, जिसे सुरक्षित और प्रभावशाली साबित किया जा चुका है। मई तक दुनिया भर में 20 मिलियन से ज्यादा लोगों ने Sputnik V वैक्सीन का पहला टीका लगवा लिया था, जिसमें प्रथम घटक है।
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