नयी दिल्ली। कोविड-19 संक्रमण से ठीक हो चुके व्यक्तियों में कोविशील्ड टीके का तेजी से असर होता है और उनमें एंटीबॉडी का स्तर अधिक पाया जा रहा है। यह बात एक अध्ययन से सामने आयी है। इससे इसकी उम्मीद बनी है कि हो सकता है कि ऐसे व्यक्तियों को दूसरी खुराक देने की जरूरत नहीं पड़े और इस तरह से भारत में कोरोना वायरस टीकाकरण का विस्तार करने में मदद मिलेगी।
कोविशील्ड की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर अध्ययन नयी दिल्ली के सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी), मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी, डायबिटीज एंड मेटाबॉलिज्म के साथ ही एकेडमी आफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च (एसीएसआईआर) गाजियाबाद के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किया गया।
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अध्ययन के लेखकों में शामिल सीएसआईआर-आईजीआईबी के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने कहा, ‘‘कोविशील्ड से एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हो रही है। जो आधारभूत तौर पर सीरोपॉजिटिव होते हैं उनमें प्रतिक्रिया तेजी से होती है और उनमें एंटीबॉडी उच्च स्तर तक पहुंचते हैं।’’ सीरोपॉजिटिविटी सीरम में वायरस की मौजूदगी का संकेत होता है या इसका साक्ष्य होता है कि उक्त व्यक्ति पूर्व में वायरस के सम्पर्क में आया है।
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ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का कोविड-19 टीका वैश्विक टीकाकरण की शुरुआत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा स्थानीय रूप से निर्मित कोविशील्ड और हैदराबाद स्थित कंपनी भारत बायोटेक की स्वदेशी कोवैक्सीन उन दो टीकों में शामिल हैं जिन्हें देश में उपयोग के लिए अनुमति दी गई है। 135 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को शामिल करके किये गए अध्ययन विशेष तौर पर कोविशील्ड पर केंद्रित था।
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