नई दिल्ली. देश में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है लेकिन भारत में जनसंख्या अत्यधिक होने की वजह से 24*7 उत्पादन होने के बावजूद भी वैक्सीन बहुत ज्यादा कम पड़ रही है। ऐसे हालातों में कुछ विपक्षी दल जहां जमकर राजनीति कर रहे हैं तो कुछ जायज सवाल भी उठा रहे हैं। विकट हालातों में कोरोना वैक्सीनेशन की कमी की वजह से कुछ भ्रम का माहौल भी पैदा हुआ है, ऐसे में आज भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने अपनी पार्टी और सरकार का पक्ष रखा।
संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी वैक्सीन को लेकर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं उसपर तथ्य रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 11 मई 2021 तक लगभग 6.63 करोड़ वैक्सीन के डोज हिंदुस्तान के बाहर भेजे गए थे। इसमें मात्र 1 करोड़ 7 लाख वैक्सीन मदद के रूप में भेजा गया है। बाकी 84% वैक्सीन लायबेलिटी के रूप में भेजी गई है, जो आपको करना ही था चाहे किसी कि भी सरकार होती। इसके अलावा 20 लाख डोज संयुक्त राष्ट्र का पीस कीपिंग फोर्स को दिया, और उस फोर्स में 6600 हिंदुस्तान के जवान पीस कीपिंग के लिए काम कर रहे हैं। हमारे जवान सुरक्षित रह सकें उसके लिए डोज दिया।
उन्होंने कहा कि जिन देशों से वैक्सीन के लिए कच्चा माल लिया गया है उन देशों को वैक्सीन देने का करार हुआ था और उनको वैक्सीन देने के लिए बुकिंग हुई थी, कमर्शियल लायबिलिटी के तहत यह वैक्सीन दी गई। संबित ने बताया कि लाइसेंसिंग जिम्मेदार के तहत भी टीके एक्सपोर्ट किए गए। लाइसेंसिंग जिम्मेदारी, जो सिर्फ कोवीशील्ड के लिए है, जो ऑक्सफोर्ड की एस्ट्रैजेनेका वैक्सीन है, 14 प्रतिशत कथित एक्सपोर्ट यूके को गया है, क्योंकि यूके में ही लाइसेंस होल्डर ऑक्सफोर्ड है।
संबित ने कहा कि SII और ऑक्सफोर्ड के बीच में जब एक करार हुआ था। करार में तय हुआ था कि SII एस्ट्राजेनेका को किसी भी कीमत पर हर महीने 50 लाख वैक्सीन पहुंचाएगा। SII ने मना कर दिया। इसपर एस्ट्राजेनेका ने लाइसेंस रद्द करने की धमकी दी थी लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की मध्यस्थता के चलते लाइसेंस रद्द नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि 12.5 प्रतिशत वैक्सीन सऊदी अरब को एक्सपोर्ट हुई, सऊदी अरब में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं और उन सभी को दोनों डोज मुफ्त में सऊदी अरब ने लगाई है और खुद भारत को वैक्सीन के लिए पेमेंट किया है।
केजरीवाल के सवालों और सलाह पर संबित पात्रा ने कहा, "केजरीवाल कंपल्सरी लाइसेंसिंग की बात कर रहे हैं मैं बताना चाहता हूं की ऐसा करने में अड़चन क्यों है, वैक्सीन का फार्मूला कोई साधारण फार्मूला नहीं है। भारत में 2 वैक्सीन हैं एक कोवैक्सीन और दूसरा कोवीशील्ड है, कोवीशील्ड का फार्मूला भारत का नहीं है और sii को एस्ट्राजेनेका ने लाइसेंस दिया है। sii इस लाइसेंस को किसी और कंपनी को नहीं दे सकती, अगर संयुक्त राष्ट्र में हम जाएं और इसकी मांग करें तथा वे देश तैयार करें तो ही भारत और अन्य देशों को लाइसेंस मिल सकता है।"
उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन के लिए किसी फार्मूला बांटने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसे भारत सरकार के icmr ने भारत बायटेक के साथ मिलकर बनाया है, लेकिन इसका फार्मूला बांटने में भी अड़चन है, उस वैक्सीन क बनाने की क्षमता भारत में सिर्फ भारत बायोटेक के पास है, इसके अलावा पेनेशिया नाम की कंपनी के पास भी क्षमता है और भारत सरकार दोनों कंपनियों को मिलाकर बात कर रही है, उसपर जल्द फैसला हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में 3-4 पीएसयू हैं वे इस तरह की क्षमता विकसित कर सकती है और उनसे कहा गया है कि प्रोडक्शन करें, हैफ्किन बायो फार्मास्यूटिकल फार्मेशन जो महाराष्ट्र में स्थित है, उसे कहा गया है, इसके अलावा इंडियन इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड, इसके अलावा भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल लिमिटेड।
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