दिल्ली की एक अदालत ने 2016 के जेएनयू राजद्रोह मामले पर सुनवाई करते हुए शनिवार को कहा कि मंजूरी के संबंध में शहर की पुलिस की भूमिका समाप्त हो गई और वह इसके बारे में अब दिल्ली सरकार से पूछेगी। चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शेरावत ने यह टिप्पणी तब की जब पुलिस ने बताया कि मंजूरी देना एक प्रशासनिक कार्रवाई थी और उसके बिना भी आरोपपत्र दायर किया जा सकता है।
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने अदालत को बताया कि एजेंसी ने मंजूरी मांगते हुए पहले ही दिल्ली सरकार को एक अनुरोध पत्र भेजा है। गौरतलब है कि अदालत ने उस डीसीपी के पेश नहीं होने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई जिसे 2016 जेएनयू राजद्रोह मामले में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया था।
दिल्ली पुलिस ने पहले अदालत को बताया था कि अधिकारियों ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य पर इस मामले में अभियोग चलाने की आवश्यक मंजूरी अभी नहीं दी है और मंजूरी लेने में दो से तीन महीने का समय लगेगा।
पुलिस ने 14 जनवरी को अदालत में कुमार और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर करते हुए कहा था कि कन्हैया एक जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने नौ फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान लगे राजद्रोही नारों का समर्थन किया। अदालत ने इस मामले को देख रहे पुलिस उपायुक्त से रिपोर्ट मांगी थी।
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