नयी दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण का उपचार ढूंढने के लिए पूरी दुनिया में चल रहे शोधों के बीच, वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 बीमारी से बचाव के लिए टीका विकसित करने में कम से कम एक साल लग सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि यदि परीक्षण, मंजूरी और टीकों के उत्पादन का पैमाना बढ़ाने की प्रक्रिया साथ-साथ होती है तो कुछ महीने पहले भी टीका उपलब्ध हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, कोविड-19 के 10 संभावित टीकों का लोगों पर परीक्षण कर अध्ययन किया जा रहा है और 126 टीके अभी इससे पहले के चरण में है, यानी उन्हें लेकर अनुसंधान किया जा रहा है। प्रतिरक्षा विज्ञान के विशेषज्ञ सत्यजीत रथ ने कहा कि दुनिया भर में विभिन्न वृहद रणनीतियों से सार्स-सीओवी-2 के टीके विकसित किए जा रहे हैं।
नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) के वैज्ञानिक रथ ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा कि ये जानी मानी रणनीतियां है। इनमें से कुछ करीब दो सदी पुरानी और कुछ करीब दो दशक पुरानी हैं, लेकिन किसी के बारे में भी यह गांरटी के साथ नहीं कहा जा सकता कि उससे सार्थक परिणाम निकलेंगे। अमेरिका में मैरीलैंड विश्वविद्यालय के मानव विषाणु विज्ञान संस्थान के निदेशक रॉबर्ट गालो ने कहा, ‘‘लोगों को संभावित टीके और टीके के बीच में अंतर समझ में नहीं आ रहा है और वैज्ञानिक एवं नेता इस दुविधा को बढ़ा रहे हैं।’’
इस माह की शुरुआत में एक डिजिटल बैठक में अमेरिका में विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि 2021 तक कोविड-19 का टीका विकसित नहीं हो पाएगा। इस बैठक में ‘यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस’ के कुलपति गैरी एस मे ने पूछा था, ‘‘टीका विकसित होने तक जनजीवन पूरी तरह पटरी पर लौटने की उम्मीद नहीं है, लेकिन यह कब तक हो पाएगा?’’ इस सवाल के जवाब में सभी ने सर्वसम्मति से कहा था कि एक साल या इससे भी अधिक।
रथ ने भी कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि टीका अगले साल के मध्य से पहले विकसित हो पाएगा।’’ हालांकि उन्होंने कहा कि परीक्षण के बाद मंजूरी और टीकों के उत्पादन का पैमाना साथ-साथ बढ़ाए जाने से कुछ महीने पहले भी टीका विकसित हो सकता है। उन्होंने कहा कि टीका विकसित होने के बाद भी उसकी खासकर गरीबों तक उपलब्धता सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती होगी।
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