कोरोना वैक्सीन लगने के बाद 3 लोगों को हुई एलर्जी, सामने आए ये लक्षण
दिल्ली एम्स के सुरक्षा गार्ड ने कोरोना वैक्सीन लेने के बाद एलर्जी होने की बात कही है। वहीं दो और स्वास्थ्यकर्मियों में भी कोरोना वैक्सीन लगने के बाद हल्के साइड इफेक्ट देखे गए हैं। इन दोनों को छाती में हल्की जकड़न का सामना करना पड़ा।
नई दिल्ली। देश में शुरू किए गए कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम को लेकर बड़ी खबर सामने आयी है। दिल्ली एम्स के सुरक्षा गार्ड ने कोरोना वैक्सीन लेने के बाद एलर्जी होने की बात कही है। उन्हें अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। ये जानकारी दिल्ली एम्स के अधिकारियों ने दी है। उधर एनडीएमसी के मुताबिक चरक पालिका अस्पताल के दो स्वास्थ्यकर्मियों में भी कोरोना वैक्सीन लगने के बाद हल्के साइड इफेक्ट देखे गए हैं। दोनों को छाती में हल्की जकड़न का सामना करना पड़ा। हालांकि, एईएफआई टीम द्वारा उन्हें निगरानी में रखा गया और जब उन्हें सामान्य महसूस हुआ तो 30 मिनट के बाद छुट्टी दे दी गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, दिल्ली में वैक्सीनेशन अभियान के पहले दिन 4319 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई गई।
18 साल या उससे ज्यादा के लोगों को ही लगायी जाएगी वैक्सीन
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूर की गईं दोनों वैक्सीन- सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को 18 साल या उससे ज्यादा के लोगों को ही लगाया जाएगी। गर्भवती और बच्चे को दूध पिलाने वाली महिलाओं को भी वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी, क्योंकि इन पर वैक्सीन का परीक्षण नहीं हुआ है। कोरोना के लक्षणों वाले शख्स को भी वैक्सीन नहीं दी जाएगी। जो लोग कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हों, या जिन्हें प्लाज्मा थेरेपी दी गई हो, उन्हें भी ठीक होने के बाद चार से आठ हफ्ते तक टीका नहीं लगाया जाएगा। जिन लोगों की ब्लीडिंग की हिस्ट्री हो, उन्हें जरूरी ऐहतियात के साथ वैक्सीन देनी होगी। दिल, किडनी रोगियों या अन्य गंभीर बीमारियों के शिकार लोगों को भी वैक्सीन दी जा सकेगी। इसे एड्स रोगियों को भी दिया जा सकता है।
वैक्सीन लगवाने के बाद इन बातों का रखें ध्यान
- सूचना के अनुसार जो समय दिया गया है उस समय पर सेंटर पहुंचें।
- रजिस्ट्रेशन के दौरान जो आईडी कार्ड दिया था, वही आईडी कार्ड लेकर सेंटर पर जाएं।
- वैक्सीनेशन के बाद 30 मिनट तक ऑब्जर्वेशन के लिए रुकें।
- घर जाने के बाद अगर कोई दिक्कत होती है तो 1075 हेल्पलाइन नंबर पर फोन करें।
- घर जाने पर अगर कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है, तो आप किसी भी प्राइवेट या सरकारी अस्पताल में जा सकते हैं, वहां पर आपका इलाज होगा।
- दिल्ली सरकार ने ऑर्डर जारी कर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स वाले लोगों को तुरंत इलाज देने को कहा है, ऐसा नहीं करने पर अस्पताल के खिलाफ एक्शन होगा।
- वैक्सीन लगाने के दिन से 48 घंटे पहले और वैक्सीन लगने के 48 घंटे बाद तक अल्कोहॉल या अन्य नशीले पदार्थ का सेवन ना करे क्योंकि इससे बॉडी के इम्यून रिस्पॉन्स में रुकावट आ सकती है। यदि वैक्सीनेशन के बाद किसी भी तरह की परेशानी होती है तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि हर व्यक्ति को टीके की दो खुराक लेनी होगी जो 28 दिन के अंतराल पर दी जाएगी और दूसरी खुराक लेने के दो हफ्ते बाद कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित होती है, ऐसे में वैक्सीन लगने के बाद भी कोविड नियमों का पालन करते रहना जरूरी है, जब तक कि एंटीबॉडी विकसित नहीं हो जाती है।
- एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लगने के बाद शुगर ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड फूड, एनर्जी ड्रिंक्स, फास्ट फूड या एल्कोहॉलिक पदार्थों के सेवन से भी बचना चाहिए।
वैक्सीन लगने के बाद बरतें ये सावधानी
- पहले की तरह मास्क पहनें, लोगों से सोशल दूरी बना कर रहें।
- नियमित रूप से हाथ धोएं और पहले की तरह सभी तरह के बचाव पर अमल करें।
- वैक्सीन की दूसरी डोज जरूर लें, दोनों डोज लेने के 14 दिन में ही पर्याप्त एंटीबॉडी बनेंगी।
- वैक्सीन लगने के बाद इंजेक्शन साइट टेंडरनेस, इंजेक्शन साइट पेन, सिरदर्द, थकान, बुखार, शरीर में दर्द, पेट में दर्द, मतली, उल्टी, चक्कर आना, पसीना, ठंड, खांसी, इंजेक्शन साइट सूजन जैसे साधारण से लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
वैक्सीन कितने समय में ऐंटीबाडी बनाएगी
- इस वैक्सीन के दो डोज होंगे। दूसरा डोज पहले डोस के 24 दिन बाद दिया जाएगा। दूसरे डोस के तीन से साढ़े तीन हफ्ते के एंटीबॉडी बनना शुरू होगी।
इन बीमारियों से ग्रस्त लोग ना लगवाएं वैक्सीन
- कोविड-19 वैक्सीन की पिछली खुराक की वजह से अगर किसी को एनाफ्लेक्टिक या एलर्जी रिएक्शन हुए हों तो वैक्सीन न दें। ऐसे व्यक्ति को भी टीका न दें जिन्हें वैक्सीन या इंजेक्टेबल थैरेपी, फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट और खाद्य पदार्थ आदि के कारण पहले या बाद में किसी तरह के एलर्जी या रिएक्शन की शिकायत है।
- वैक्सीन को ब्लीडिंग या कोगुलेशन डिसऑर्डर (जैसे, क्लॉटिंग फैक्टर डिफिसिएंसी, कोगुलोपैथी या प्लेटलेट डिसॉर्डर) के इतिहास वाले व्यक्ति में सावधानी के साथ लगाया जाना चाहिए।