नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस लगातार बढ़ते मामलों के बीच वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन को बनाने वाली भारतीय कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अदर पूनावाला ने कोरोना वैक्सीन Covidshield को लेकर मीडिया में आ रही खबरों के बाद मीडिया से अनुरोध किया है कि वैक्सीन के शुरुआती डाटा को रिपोर्ट करने से परहेज करें। हालांकि अदर पूनावाला ने यह भी कहा है कि 2 महीने का इंतजार करें और वैक्सीन से जुड़ी पूरी जानकारी जल्द साझा की जाएगी।
अपने ट्वीट संदेश में अदर पूनावाला ने कहा, “मैं मीडिया से अनुरोध करना चाहता हूं कि SII की Covidshield वैक्सीन के मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल के शुरुआती आंकड़ों को रिपोर्ट करने से परहेज करें। हमें वैक्सीन की प्रक्रिया से पक्षपात नहीं करना चाहिए। कोरोना वैक्सीन की प्रक्रिया का सम्मान करें और 2 महीने तक धैर्य बनाए रखें, वैक्सीन को लेकर सभी जरूरी आंकड़े जल्द साझा किए जाएंगे।”
अदर पूनावाला के इस बयान के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि 2 महीने में वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर आ सकती है। हालांकि पिछले हफ्ते ही मीडिया में इस तरह की खबरें आई थी कि SII की कोरोना वैक्सीन Covidshield 73 दिन में लॉन्च हो सकती है जिसका अदर पूनावाला और SII ने खंडन किया था।
कोविड-19 के उपचार, रोकथाम के लिए एंटीबॉडी दवा की जांच में जुटी दवा कंपनियां
कोरोना वायरस के टीके के आने में अभी कई महीने लगने के बीच कंपनियां अब एक एक नयी चीज यानी एक ऐसी दवा के परीक्षण में जुट गयी जो इस वायरस को नष्ट करने के लिए एंटीबॉडी बनाएगी । एंटीबॉडी ऐसे ऐसा प्रोटीन है जिसे शरीर संक्रमण के गिरफ्त में आने के बाद बनाता है। वह वायरस के साथ जुड़ जाता है और उसे नष्ट कर देता है। टीका दूसरे सिद्धांत पर काम करता है।
टीकाकरण या संक्रमण के बाद टीके को सबसे प्रभावी एंटीबॉडी बनाने में एक या दो महीने लग सकते हैं। प्रयोग से गुजर रहीं दवाइयां विशिष्ट एंटीबॉडी के सांद्र संस्करण देकर उस प्रक्रिया को दूर कर देती हैं और उनका प्रयोगशाला और पशुओं पर परीक्षण में बहुत अच्छा असर रहा है।
उत्तरी कोरोलिना विश्वविद्यालय के विषाणु विज्ञान डॉ मैरोन कोहेन ने कहा, ‘‘ किसी टीके को काम करने, एंटीबॉडी के विकास कराने में वक्त लगता है। लेकिन जब आप किसी को एंटीबाडी देते है तो उसे तत्काल सुरक्षा मिल जाती है।’’
समझा जाता है कि इन दवाइयों का एक या अधिक महीने तक असर रह सकता है और यह उच्च संक्रमण जोखिम वाले लोगों जैसे डॉक्टरों और कोविड-19 से संक्रमित व्यक्त के परिवार के सदस्यों को तत्काल प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है। ये दवाइयां प्रभावी साबित हेाती हैं और यदि टीका उम्मीद के अनुसार नहीं आ पाता है या सुरक्षा दे पाता है तो इन दवाओं पर व्यापक इस्तेमाल के लिए विचार किया जा सकता है।
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