Plasma Therapy का अभी ट्रायल चल रहा है, इससे जान को खतरा भी हो सकता है- ICMR
ICMR ने ट्वीट कर कहा है कि वर्तमान में #COVID19 के लिए कोई निश्चित उपचार नहीं हैं। Convalescent plasma कई उभरते हुए उपचारों में से एक है।
नई दिल्ली. ICMR ने ट्वीट कर कहा है कि वर्तमान में #COVID19 के लिए कोई निश्चित उपचार नहीं हैं। Convalescent plasma कई उभरते हुए उपचारों में से एक है। हालांकि, नियमित चिकित्सा के लिए इसके इस्तमाल के लिए कोई मजबूत आधार नहीं है। यूएस फूड एंड ड्रग एडमन ने भी इसे प्रायोगिक चिकित्सा के रूप में देखा है।
अगले ट्वीट में ICMR ने कहा कि कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी के एंटीबॉडी टिटर परीक्षण की तरह अपनी तरह की तकनीकी चैलेंज हैं। इस थेरेपी का उपयोग करने के कई जोखिम भी हैं, जिसमें जानलेवा एलर्जी रिएक्शन और lung injury शामिल हैं।
कोविड-19 के इलाज के लिये प्लाज्मा थैरेपी या कोई अन्य थेरेपी स्वीकृत नहीं : स्वास्थ्य मंत्रालय
इससे पहले कोरोना वायरस के मामलों और लॉकडाउन को लेकर होने वाली नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्लाजमा थैरेपी से संभावित इलाज के बारे में मंगलवार को स्पष्ट किया कि उपचार की यह पद्धति अभी प्रयोग के दौर में है और ऐसी किसी भी पद्धति को मान्यता नहीं दी गयी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि परीक्षण के दौर से गुजर रही प्लाजमा थैरेपी के बारे में अभी तक पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं जिनके आधार पर यह दावा किया जा सके कि इस पद्धति से कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किया जा सकता है। उन्होंने प्लाज्मा पद्धति से कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज को लेकर किए जा रहे दावों को गलत बताते हुये स्पष्ट किया कि इस तरह की किसी पद्धति को अभी मान्यता नहीं दी गयी है।
उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न अस्पतालों में प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण का उपचार किये जाने के प्रयोग चल रहे हैं। इस पद्धति से इलाज संभव होने के दावों के बीच मंत्रालय ने स्थिति को स्पष्ट करते हुये यह जानकारी दी है। अग्रवाल ने प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के दावों को भ्रामक और गैरकानूनी बताते हुये कहा कि फिलहाल यह पद्धति प्रयोग एवं परीक्षण के दौर में है।
उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 के इलाज में इस पद्धति की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन शुरु किया है। इसके तहत ही विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में इस पद्धति का परीक्षण किया जा रहा है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘आईसीएमआर ने अब तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी कारगर साबित हुयी है। अभी यह दावा करने के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी पद्धति से कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करना मरीज के जीवन के लिये घातक साबित हो सकता है। इसलिये आईसीएमआर द्वारा अध्ययन पूरा होने के बाद पुख्ता प्रमाणों के आधार पर इसे इलाज की पद्धति के रूप में मान्यता दिये जाने तक इसे उपचार का विकल्प नहीं माना जा सकता।
With inputs from Bhasha