Lockdown की सबसे ज्यादा मार किसानों पर, राजस्थान में जानवरों को खिलानी पड़ रही है सब्जियां
कोरोनावायरस से निपटने के लिए जारी देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से यूं तो सभी परेशानी झेल रहे हैं लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है।
सिरोही (राजस्थान): कोरोनावायरस से निपटने के लिए जारी देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से यूं तो सभी परेशानी झेल रहे हैं लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है। लॉकडाउन के चलते एक तरफ जहां शहरी इलाकों में लोग ताजा सब्जियां हासिल करने की जद्दोजहद में लगे हैं वहीं, राजस्थान के सिरोही जिले में नकदी की कमी से जूझ रहे किसानों पर फसल ना बिकने से दोहरी मार पड़ रही है। बाजार में सब्जियां जा नहीं पा ही है और बिचौलिये कम दाम दे रहे हैं। हालात अब ऐसे बन पड़े हैं कि कड़ी मेहनत करके उगाई गई सब्जियां जानवरों को खिलानी पड़ रही है।
आलम यह है कि मंडी ले जाने के बावजूद व्यापारी टमाटर को 2 रुपये किलो से ज्यादा दाम में खरीदने को तैयार नहीं है ऐसे में किसान मंडी तक फसल पहुंचाने का किराया भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं। किसानों के खून पसीने की कमाई लगाकर खरीदे गए बीज और पानी की तरह पसीना बहाकर उगाई हुई फसल अब जानवरों को खिलाने को मजबूर हो रहे हैं। सिरोही जिले में रहने वाले किसान दीनाराम ने कम से कम 20-30 किलो टमाटर थक हारकर जानवरों को खिलाए।
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दीनाराम कहते हैं, ''लॉकडाउन की वजह से हमारी सब्जियां सड़ रही है। यहां मंडी में टमाटर खरीदने वाले बेहद कम मूल्य पर टमाटर बेचने का दबाव बना रहे हैं। अधिकतम 2 रुपये किलो बेचने के लिए कहा जा रहा है। ऐसे में हमें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें।'' अपनी बात खत्म करते हुए दीनाराम मायूसी से भर जाते हैं, वो कहते हैं, "बहुत मेहनत से हमने टमाटर की खेती की लेकिन लोगों के घरों में कैद होने पर मजबूर होने के चलते हमारा बहुत नुकसान हो रहा है। हम चाहते है कि सरकार इसका उपाय बताए और इस नुकसान का भुगतान करावे।''
बता दें कि टमाटर और दूसरी सब्जियों के लागत से भी कम दाम मिलने के कारण सब्जियां और टमाटर जानवरों को खिलाने या सड़क पर फेंकने वाला दिन आराम अकेला किसान नहीं है। जिले में सैकड़ों किसान रोजाना कई कुंटल सब्जियां और टमाटर या तो सड़क पर फेंक रहे हैं या जानवरों को खिला रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि किसान लोगों को मुफ्त तक में टमाटर देने के लिए तैयार है। जिले में हर साल रेवदर शिवगंज और सिरोही इलाके में टमाटर की बंपर फसल होती है फिर भी किसानों को मनमाफिक दाम कभी कभार ही मिलता है लेकिन इस बार लॉक डाउन के चलते अपनी गाढ़ी कमाई से फसल उगाने वाले किसानों की लागत भी वसूल नहीं हो पाई है ऐसे में इलाके के सैकड़ों किसान बेहद मायूस हैं।
लॉडाउन के चलते किसानों से राज तो रूठा ही लगता है अब राम भी रूठ गया है और इस परिस्थिति से निकालने के लिए किसान हित का दम भरने वाले ना तो किसान नेता आगे आ रहे हैं और ना ही सरकारी नुमाइंदे किसानों की मदद कर पा रहे हैं। इस इलाके कि किसानों की लंबे समय से मांग है कि टमाटर की बंपर फसल पैदा करने वाले सिरोही जिले में अगर टमाटर से जुड़ा जैम या सॉस बनाने वाला कोई उद्योग लग जाए तो किसानों की किस्मत संवर सकती है लेकिन ना तो उद्योगपतियों ने और ना ही सरकार ने अब तक इस पर ध्यान दिया है।