A
Hindi News भारत राष्ट्रीय 'अगर भगवान जगन्नाथ कल नहीं निकले, तो 12 साल तक नहीं निकल सकते'

'अगर भगवान जगन्नाथ कल नहीं निकले, तो 12 साल तक नहीं निकल सकते'

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर मंगलवार से शुरू होने वाली पुरी जगन्नाथ रथयात्रा से प्रतिबंध नहीं हटाया गया और परंपराओं को तोड़ा गया तो यह हिंदू देवता अगले 12 वर्षो तक रथयात्रा नहीं कर पाएंगे।

<p>jagannath rath yatra</p>- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO jagannath rath yatra

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर मंगलवार से शुरू होने वाली पुरी जगन्नाथ रथयात्रा से प्रतिबंध नहीं हटाया गया और परंपराओं को तोड़ा गया तो यह हिंदू देवता अगले 12 वर्षो तक रथयात्रा नहीं कर पाएंगे। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि रथयात्रा बिना जनभागीदारी और श्रद्धालुओं के आयोजित की जा सकती है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष रथयात्रा मुद्दे का जिक्र किया। मेहता ने पीठ के समक्ष तर्क दिया कि सदियों की परंपरा को रोका नहीं जा सकता। "यह करोड़ों लोगों के लिए आस्था का विषय होगा। यदि भगवान जगन्नाथ कल मंदिर से नहीं निकलेंगे, तो परंपरा के अनुसार 12 साल तक बाहर नहीं आ सकते। यह सुनिश्चित करने के लिए कि महामारी आगे न फैले, इसके लिए सावधानी बरतते हुए राज्य सरकार एक दिन के लिए कर्फ्यू लगा सकती है।"

उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी सेवित और पंडित जिनका कोरोना परीक्षण निगेटिव आया है वे शंकराचार्य द्वारा तय किए गए अनुष्ठानों में भाग ले सकते हैं। मेहता ने पीठ के समक्ष कहा, "पुरी के राजा और मंदिर समिति अनुष्ठानों की व्यवस्था की देखरेख कर सकती है।"

वहीं ओडिशा सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि वह कुछ सावधानियों के साथ रथयात्रा के संचालन के लिए केंद्र की बात से सहमत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संशोधन अनुप्रयोगों को सुनने पर सहमति व्यक्त की है।

भाजपा नेता संबित पात्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 18 जून के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था। आदेश में कोविड महामारी का हवाला देते हुए पुरी रथयात्रा पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। मंडली के बिना रथयात्रा की अनुमति के लिए कई व्यक्तियों और गैर सरकारी संगठनों की ओर से भी शीर्ष अदालत में कई आवेदन भेजे गए हैं, जिन पर शीर्ष अदालत सोमवार को सुनवाई कर सकती है।

यह प्रसिद्ध रथयात्रा 23 जून को जगन्नाथ मंदिर से शुरू होनी थी। हालांकि, पिछले सप्ताह के निर्देशों के अनुसार भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ को खींचने और इस वार्षिक कार्यक्रम से जुड़ी अन्य सभी गतिविधियां भी रद्द कर दी गई हैं। 18 जून को कोर्ट ने देश में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह यात्रा नहीं निकालने के लिए कहा था।

Latest India News