इंदौर: देश में कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक इंदौर में पुलिस चुनौतीपूर्ण हालात पर नियंत्रण बरकरार रखने के लिये अपने काम करने का तरीका बदल रही है। इस सिलसिले में कर्फ्यू तोड़ने के बाद घर में छिप जाने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए प्राथमिकी की ‘होम डिलीवरी’ की तैयारी की जा रही है। शहर पुलिस अधीक्षक (CSP) पुनीत गहलोत ने गुरुवार कहा, ‘हमें पता चला है कि शहर के कई लोग पुलिस की गश्त के दौरान तो अपने घर में रहते हैं। लेकिन जैसे ही पुलिस की गश्त खत्म होती है, वे कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए बेवजह बाहर घूमने लगते हैं। ड्रोन कैमरों की मदद से ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है।’
‘FIR की कॉपी आरोपियों के घर पहुंचा दी जाएगी’
CSP ने बताया कि आरोपियों की पहचान के बाद भारतीय दंड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी का आदेश नहीं मानना) और धारा 269 (ऐसा लापरवाही भरा काम करना जिससे किसी जानलेवा बीमारी का संक्रमण फैलने का खतरा हो) के तहत प्राथमिकी दर्ज की जायेगी। उन्होंने बताया, ‘FIR की कॉपी इन आरोपियों के घर पहुंचा दी जाएगी। इसके बाद कानून के तहत उचित कदम उठाए जाएंगे।’ हाल के कुछ खराब तजुर्बों के बाद पुलिस अलग-अलग मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी में भी निजी सुरक्षा उपकरणों (PPE) का इस्तेमाल करते हुए सावधानी बरत रही है।
इंदौर में गुरुवार सुबह तक कुल 696 मरीज
सीएसपी ने बताया, ‘हमने हाल ही में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था। बाद में जांच में वे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। नतीजतन हमें एक पुलिस थाने के लगभग पूरे स्टाफ को पृथक केंद्र में भेजना पड़ा।’ आधिकारिक जानकारी के मुताबिक गुरुवार सुबह तक जिले में कोविड-19 के 696 मरीज मिले हैं, जिनमें एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) और 2 थाना प्रभारी शामिल हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित 39 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद से ही प्रशासन ने 25 मार्च से इंदौर की शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है।
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