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Hindi News भारत राष्ट्रीय Covid-19: इन देशों को बहुत भारी पड़ा चीनी वैक्सीन लगवाना, अब सच आया सामने

Covid-19: इन देशों को बहुत भारी पड़ा चीनी वैक्सीन लगवाना, अब सच आया सामने

बहरीन और सेशेल्स उन देशों में से हैं जिन्होंने अपने अधिकतर नागरिकों को चीनी वैक्सीन सिनोवैक और सिनोफार्म लगवाई लेकिन इसके बावजूद जब वहां कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे तो इन देशों ने फिर फाइजर की वैक्सीन लगवानी शुरू कर दी।

<p>Covid-19: इन देशों को बहुत...- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE Covid-19: इन देशों को बहुत भारी पड़ा चीनी वैक्सीन लगवाना, अब सच आया सामने

नई दिल्ली: बहरीन और सेशेल्स उन देशों में से हैं जिन्होंने अपने अधिकतर नागरिकों को चीनी वैक्सीन सिनोवैक और सिनोफार्म लगवाई लेकिन इसके बावजूद जब वहां कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे तो इन देशों ने फिर फाइजर की वैक्सीन लगवानी शुरू कर दी। संयुक्त अरब अमीरात का स्वास्थ्य विभाग दुबई में उन लोगों को फिर से फाइजर की वैक्सीन लगवा रहा है जिन्होंने चीन में निर्मित सिनोफार्म की पूरी खुराक लगवा ली थी। बहरीन के एक वरिष्ठ अधिकापी ने बताया कि बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के बावजूद जब कोरोना के मामले बढ़ने लगे तो रिस्क ग्रुप में आने वाले नागरिकों को फाइजर और BioNTech SE की वैक्सीन की खुराक दी जाने लगी है। बहरीन स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव वलीद खलीफा अल मानिया ने बताया कि अब तक चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म की वैक्सीन बहरीन के 60 फीसदी से अधिक नागरिकों को लग चुकी है। हालांकि बहरीन में कोरोना की मौजूदा लहर में जिन 90 संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, उन्हें वैक्सीन नहीं लगी थी।

उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित, मोटापे के शिकार और 50 साल से ज्यादा उम्र वाले बहरीन के लोगों को फिर से 6 महीने बाद Pfizer-BioNTech की वैक्सीन लगवाने का अनुरोध किया गया है। वलीद खलीफा अल मानिया ने बताया कि जिन नागरिकों ने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है, उनके लिए अब Pfizer-BioNTech की वैक्सीन मुहैया कराई जा रही है। हालांकि चीन की वैक्सीन का विकल्प अब भी उपलब्ध है लेकिन जो हर लिहाज से संवेदनशील हैं, उम्रदराज हैं, उन्हें फाइजर की वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जा रही है।

सिनोफार्म और सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड की वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिल चुकी है। चीन ने सिनोफार्म और अपनी अन्य कोरोना वैक्सीन का अंतरराष्ट्रीय मंच पर कूटनीतिक औजार के तौर पर इस्तेमाल किया है। खासकर के विकासशील देशों में चीन ने वैक्सीन भेजी जो अमेरिकी या यूरोपीय देशों में बनी वैक्सीन खरीदने में सक्षम नहीं थे।

सिनोफार्म को लेकर एक अप्रकाशित रिसर्च में बताया गया है कि चीनी टीके की दो खुराक लेने के बावजूद 150 प्रतिभागियों में से 29% में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं पाई गई। बेलग्रेड यूनिवर्सिटी में अध्ययन करने वाली डॉक्टर ओल्गिका जुकोर्विच-जोकोविच ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि सिनोफार्मा वैक्सीन इम्युनिटी बनाने में पर्याप्त रूप से कारगर नहीं है और ऐसा लगता है कि इसका प्रभाव विशेष रूप से बुजुर्गों पर कम ही हो रहा है। उन्होंने बताया कि सिनोफार्म के ट्रायल में शामिल 150 लोगों में से 10 लोग कोविड-19 की चपेट में आने से बच नहीं सके।

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