उत्तराखंड में लॉक डाउन का उल्लंघन के सिलसिले में 1991 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले में औ 362 FIR भी दर्ज की है। मोटर वाहन अधिनियम के तहत 1963 वाहन जब्त। कोरोनावायरस के खिलाफ जग को मुकाम तक पहुंचाने में उत्तराखण्ड में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका हो गई है। सोशल डिस्टेंस बढ़ाने के लिए जहां अनेक तरह के उपाय अपनाएं जा रहे हैं, वहीं उत्तराखण्ड सरकार ने दैनिक जरूरत के समानों को घर के आंगन तक पहुंचाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जिम्मेंदारी सौंपी गई है।
उत्तराखण्ड में चल रहे लॉकडाउन को देखते हुए सरकार ने आंगनबाड़ियों के बड़े नेटवर्क के माध्यम से लोगों तक मदद पहुंचाने पर रणनीति बनाई है। प्रदेश सरकार में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग का जिम्मा संभाल रही राज्यमंत्री रेखा आर्य ने बताया था कि "लॉकडाउन से लोग परेशान न हों, इसके लिए जरूरत के समान हम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिए पहुंचाने जा रहे हैं। इसके लिए हर पांच तारीख को बंटने वाले टीएचआर (पोषाहार वितरण) के दिन से यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। वर्तमान समय में 40 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। प्रदेश में करीब 20 हजार केन्द्र हैं। जहां भी आंगनबाड़ी सेवाएं हैं वहां जरूरत के सारे समान उपलब्ध कराए जाएंगे।"
इसके अलावा आर्य ने पशुपालन करने वालों को भी उनके घरों में दवा पहुंचाने और उनकी जरूरत के समान पहुंचाने का अश्वासन दिया है। सरकार के लोगों का मानना है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के आस-पास के घरों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की पहुंच अच्छी होती है। इसलिए ये समान पहुंचाने में कारगर साबित हो सकती हैं।
ज्ञात हो कि उत्तराखण्ड सरकार ने कोरोनावायरस से बचाव के लिए पूरे राज्य को लॉकडाउन कर दिया है। लकडाउन को और प्रभावी बनाने के लिए सरकार जल्द प्रदेश की सीमाओं को सील कर देगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इसके बाद प्रदेश से बाहर का व्यक्ति उत्तराखंड नहीं आ सकेगा और न ही प्रदेश से बाहर कोई जा सकेगा।
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