नई दिल्ली: कोविड-रोधी टीके की दोनों खुराक लेने के बावजूद करीब 25 फीसदी स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए थे, जिससे डेल्टा स्वरूप के कारण संक्रमण के प्रसार के संकेत मिलते हैं। एक हालिया अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) और दिल्ली-एनसीआर के मैक्स अस्पतालों द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में पूर्व में दर्ज मामलों की तुलना में डेल्टा के प्रकोप का असर अधिक रहा।
हालांकि, अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता एवं आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक शांतनु सेनगुप्ता ने कहा कि संक्रमण का स्तर हल्का था और टीकाकरण गंभीर रूप से बीमार होने से बचाने में खासा मददगार साबित हुआ। उन्होंने चेताया कि संक्रमण की चपेट में आने वाले 25 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों में से अधिकतर में बीमारी के लक्ष्ण नहीं थे, ऐसे में वायरस के प्रसार को काबू करने में मास्क पहनने की अहम भूमिका है।
सेनगुप्ता ने कहा कि करीब 95 ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों का अध्ययन किया गया, जो टीके की दोनों खुराक ले चुके थे। इनके टीकाकरण के बाद 45-90 दिनों तक इनका मूल्यांकन किया गया। उन्होंने कहा कि इन 95 में से 25 फीसद से अधिक संक्रमण की चपेट पाए गए।
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