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Hindi News भारत राष्ट्रीय किसानों के बोनस पर बोले कमलनाथ के मंत्री- हमारे पास बेरी का पेड़ नहीं, जो झाड़ें और पैसा निकल जाए

किसानों के बोनस पर बोले कमलनाथ के मंत्री- हमारे पास बेरी का पेड़ नहीं, जो झाड़ें और पैसा निकल जाए

10 दिन में किसानों की दो लाख तक की कर्ज माफी का वादा अभी अधूरा है, तो 9 महीने पहले करीब 55 लाख किसानों को बोनस देने का ऐलान भी अभी हवा हवाई है। 

Kamalnath- India TV Hindi Image Source : FILE मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ

भोपाल। किसान कर्ज माफी पर पहले से घिरी कमलनाथ सरकार के सामने अब किसानों का बोनस का पैसा "बेर का पेड़" नजर आ रहा है। 9 महीने बाद भी करीब 55 लाख किसानों के बोनस के 1453 करोड़ रुपए अब तक रुके हैं। कमलनाथ के मंत्री का तर्क है कि बेर का पेड़ नहीं कि झाड़ें और पैसा निकल जाए। जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज कांग्रेस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कह रहे हैं कि चुनाव से पहले कांग्रेस को बेरी का पेड़ कल्पवृक्ष नजर आता था।

विधानसभा चुनाव से पहले  मुख्यमंत्री कमलनाथ में मध्य प्रदेश के किसानों को मध्य प्रदेश के नए नक्शे का हिस्सा बताया था। कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी किसानों को साधने के लिए कर्ज माफी का ऐसा तीर छोड़ा जो उन्हें सत्ता के सिंहासन की मछली तक ले गया। किसानों को ये चुनावी वादा सत्ता की बागडोर के लिए था, 15 साल बात सत्ता भी मिल गई। कमलनाथ सूबे के मुखिया भी बन गए , लेकिन 9 महीने बाद भी मध्यप्रदेश के नए नक्शे में जिस किसान को रखने का वादा कमलनाथ ने किया था उस नक्शे में कमलनाथ सरकार अब "बेर का पेड़" देख रही है।

दरअसल 10 दिन में किसानों की दो लाख तक की कर्ज माफी का वादा अभी अधूरा है, तो 9 महीने पहले करीब 55 लाख किसानों को बोनस देने का ऐलान भी अभी हवा हवाई है। अब कमलनाथ सरकार के मंत्री जी दुहाई दे रहे हैं कि बेर का पेड़ नहीं कि झाड़ाएं और पैसा निकल जाए।

मंत्री जी ने कहा कि हम प्रदेश के 5500000 किसानों को 1453 करोड़ देंगे लेकिन हमारे पास कोई बेरी का पेड़ तो नहीं है। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की आर्थिक स्थिति खोखला कर गई है, हम खर्च कम कर रहे हैं धीरे-धीरे पैसा आ रहा है और खर्च कम करते करते ही हम सरकार का भुगतान भी कर रहे हैं। दिवाली से पहले हम भुगतान कर देते हैं लेकिन प्रदेश के 38 जिलों में भारी बारिश के चलते तबाही आ गई घर टूट गए, इसलिए उनके बसाने का काम पहले है बोनस हम जल्द देंगे।

कमलनाथ सरकार के इस वरिष्ठ मंत्री के इस बयान को  अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना कहा जा सकता है। वो इसलिए क्योंकि किसान कर्ज माफी के लिए खाली खजाने का तर्क देने वाली कांग्रेस सरकार ने मार्च में बकायदा कैबिनेट में निर्णय लेकर बड़े दमखम से ये ऐलान तो कर दिया कि किसानों को गेहूं पर 160 रुपए और मक्के पर 250 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देंगे, सोयाबीन पर भी बोनस का जिक्र किया।

कृषि मंत्री सचिन यादव ने भी जोश के साथ बताया था कि सरकार जल्द ही किसानों को गेहूं मक्के और सोयाबीन पर बोनस देगी। जाहिर है मार्च का महीना था लोकसभा चुनाव पास में थे इसलिए विधानसभा चुनाव के दौरान कर्ज माफी के वादे के बाद लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बोनस का ऐलान भी किया गया। इसके लिए 1 हजार करोड़ का बजट भी रखा।

लेकिन वक्त के कांटे जितनी तेजी से घूम रहे उतने ही कांटे बोनस और कर्ज माफी के इंतजार में किसानों को चुभ रहे हैं। इंडिया टीवी से बातचीत के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने कहा कमलनाथ सरकार के मंत्री का यह बयान जनता की पीठ में छूरा भोकना है, धोखाधड़ी है, बेईमानी है। जनता इसे कभी माफ नहीं करेगी। हम लड़ाई लड़ेंगे लेकिन कांग्रेस पहले यह बताएं कि जब वचन पत्र में वचन दिए थे, वादे किए थे, तब बेरी का पेड़ क्या कल्पवृक्ष था।

बहरहाल किसान कर्जमाफी में 2 लाख माफी का इंतजार तो अब भी मध्यप्रदेश के किसान कर रहे हैं। वैसे कांग्रेस सरकार दावा कर रही है कि अब तक 21 लाख किसानों का 50 हजार तक का कर्ज माफी कर दिया। लेकिन इस बीच बारिश से बर्बाद फ़सल को देखने किसानों की नम आंखें कमलनाथ के वादे वाले बोनस का इंतजार कर रही हैं। ऐसे में क्या ये मान लिया जाए कि सरकारी योजनाओ के खर्च के लिए बेर का पेड़ होना चाहिए।

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