दिल्ली में कांग्रेस के हारे उम्मीदवार नहीं पहुंचे पार्टी बैठक में
राष्ट्रीय राजधानी की सभी सात लोकसभा सीटों पर पराजय का सामना करने वाले कांग्रेस के सभी उम्मीदवार पार्टी समिति की शनिवार को आयोजित बैठक में शामिल नहीं हुए।
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी की सभी सात लोकसभा सीटों पर पराजय का सामना करने वाले कांग्रेस के सभी उम्मीदवार पार्टी समिति की शनिवार को आयोजित बैठक में शामिल नहीं हुए। यह समिति दिल्ली में पार्टी की हार के कारणों की जांच के लिए बनाई गई है। दिल्ली कांग्रेस की जांच समिति की बैठक में नयी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के दो जिला अध्यक्षों सहित कुछ नेताओं ने अवश्य भाग लिया, लेकिन पार्टी का कोई भी लोकसभा प्रत्याशी इसमें शामिल नहीं हुआ। समिति के सदस्य योगानंद शास्त्री ने यह जानकारी देते हुये कहा कि इनमें से कई लोग शहर से बाहर गए हुये हैं।
इसका गठन पार्टी की दिल्ली इकाई की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने गत सोमवार को किया था और इसका मकसद पार्टी के इन चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारणों पर चर्चा करना था। पांच सदस्यों वाली इस समिति को दस दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट दीक्षित को पेश करनी है। दीक्षित के अलावा, राजेश लिलोठिया और विजेंद्र सिंह ही अब तक समिति के सामने हाजिर हुये हैं।
गौरतलब है कि दीक्षित सहित कांग्रेस के सभी सातों उम्मीदवार अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वियों के हाथों भारी अंतर से लोकसभा चुनाव हार गए थे। दिल्ली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए दो महीने पहले अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर देना चाहिये ताकि उन्हें मतदाताओं तक पहुंचने का पर्याप्त अवसर मिल सके।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सातों प्रत्याशी तब घोषित हुये जब नामांकन शुरू हो गया। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर भ्रम की स्थिति भी बनी रही।
नये मॉडल के तहत चयनित भारतीय निजी कंपनियों को विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ भारत में पनडुब्बी और लड़ाकू विमान जैसे साजो सामान बनाने के काम में लगाया जाएगा।
रक्षा बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों का देश में उत्पादन कर सकने के लिए रक्षा अनुसंधान संगठनों और रक्षा क्षेत्र के अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के आधुनिकीकरण की भी उनके समक्ष चुनौती होगी। सिंह को सेना में बड़े सुधारों के क्रियान्वयन की निगरानी भी करनी पड़ेगी। सेना ने इस सिलसिले में एक खाके को भी अंतिम रूप दिया है। उनकी पूर्ववर्ती निर्मला सीतारमण को राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर विपक्ष के आरोपों का सामना करना पड़ा था और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सिंह इस मुद्दे से कैसे निपटते हैं।