गृृह मंत्री अमित शाह ने आज नागरिकता संशोधन बिल को आज उच्च सदन राज्य सभा में पेश कर दिया। इसके बाद बिल पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस इस बिल का विरोध राजनीतिक आधार पर नहीं बल्कि संवैधानिक आधार पर कर रही है। शर्मा ने बिल को पेश करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर जल्दबाजी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वक्त बताएगा कि इतिहास इस कानून को किस प्रकार से देखता है।
आनंद शर्मा ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि नागरिकता कानून में इससे पहले भी 9 बार बदलाव हो चुके हैं, लेकिन इसमें धर्म के आधार पर नागरिकों में कोई अंतर नहीं किया गया। युगांडा से लेकर दूसरे देशों के शरणर्थियों को भारत ने मानवता के आधार पर अपनाया है। भारत ने धर्म के आधार पर किसी को भी नागरिकता नहीं दी है।
सावरकर ने दी टू नेशन थ्योरी
आनंद शर्मा ने अमित शाह के उस आरोप का जवाब भी दिया जिसमें उन्होंने देश के धार्मिक आधार पर विभाजन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था। शर्मा ने कहा कि 1937 में टू नेशन थ्योरी सावरकर ने ही दी थी। ऐसे में बंटवारे के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह से गलह है।
घोषणापत्र का टकराव संविधान से नहीं हो सकता
आनंद शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार अमित शाह अपनी पार्टी के घोषणापत्र में नागरिकता कानून में बदलाव की बात कर रहे थे, लेकिन किसी भी पार्टी का घोषणापत्र संविधान से नहीं टकरा सकता है। शर्मा ने मांग की कि सरकार इसे लेकर एक सर्वदलीय सहमति बनाने की कोशिश करें, विस्तार से चर्चा करें और फिर आम सहमति के साथ किसी नतीजे तक पहुंचें।
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