बेंगलुरू: कर्नाटक में कांग्रेस की एक तथ्यान्वेषी समिति ने 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के लिए पूरी तरह से जद(एस) के साथ गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। समिति ने यह रिपोर्ट मंगलवार को यहां प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख दिनेश गुंडू राव को सौंपी। अपनी रिपोर्ट में पैनल ने यह भी कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के लिए सिद्धरमैया नीत कांग्रेस सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी रूझान कारण नहीं था।
समिति ने धर्म और कुछ नेताओं के निजी मामलों को इसके लिए वजह बताया। समिति के संयोजक बासवराज रायरेड्डी ने संवाददाताओं से कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को वास्तव में झटका लगा। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को 51.40 फीसदी वोट मिले, कांग्रेस को 31.88 फीसदी वोट मिले और जद (एस) को 9.68 फीसदी वोट मिले। जद (एस) के साथ गठबंधन के बावजूद हमें लोकसभा चुनाव में कम सीटें और वोट मिले।’’
उन्होंने कहा कि अगर हम 2018 के विधानसभा चुनावों में दोनों दलों को मिले मतों को जोड़ते हैं, तो गठबंधन को 57 प्रतिशत मत मिलने चाहिए थे। यह स्पष्ट है कि लोकसभा चुनावों में दोनों दलों का गठबंधन सफल नहीं रहा। उन्होंने कहा कि करीब 17-20 फीसदी मत भाजपा को मिले। जिन क्षेत्रों में जद (एस) मजबूत था और उसके विधायक थे, वहां भी कांग्रेस को मत नहीं मिले। इससे साफ है कि लोगों ने गठबंधन को स्वीकार नहीं किया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मत पार्टी के साथ बने रहे, लेकिन जद (एस) के मत कांग्रेस को नहीं बल्कि भाजपा को मिले। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं में समन्वय की कमी थी। लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने संसदीय और 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के कारणों का पता लगाने के लिए एक तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया था।
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