नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को कांग्रेस के सदस्यों ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं राजीव गांधी के बारे में डा. बीआर अंबेडकर एवं सिख विरोधी दंगों को लेकर भाजपा के एक सदस्य की टिप्पणी पर कड़ा विरोध किया। हालांकि बाद में भाजपा सदस्य द्वारा अपनी टिप्पणी वापस लेने से सदन में अवरोध खत्म हो गया।
उच्च सदन में यह विवाद राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भाजपा के जीवीएल नरसिंह राव द्वारा की गयी एक टिप्पणी को लेकर हुआ। इसके बाद कांग्रेस के सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर विरोध व्यक्त करना शुरू कर दिया। राव ने चर्चा में भाग लेते हुए आरोप लगाया कि नेहरू ने डा. आंबेडकर के खिलाफ चुनाव में ‘‘प्रचार’’ किया। उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों की पृष्ठभूमि में राजीव गांधी के बयान का भी जिक्र किया।
राव की टिप्पणी के बाद कांग्रेस के सदस्यों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया। पार्टी के सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर मांग की कि भाजपा सदस्यों को अपना बयान वापस लेना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उन्होंने सदैव देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों का नाम सम्मान से लिया है। उन्होंने कहा कि वह सदैव इंदिरा गांधी का उतना ही सम्मान करते हैं जितना की वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार में यह चलन बढ़ता ही जा रहा है कि इसके नेता देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं राजीव गांधी के खिलाफ कुछ भी बोल देते हैं। उन्होंने कहा कि देश के निर्माण में नेहरू का भारी योगदान है।
सदन में कांग्रेस सदस्यों के विरोध बढ़ने पर राव ने अपना बयान वापस ले लिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कुछ पूर्व प्रधानमंत्रियों के नाम लिये थे और मैंने उन्हें अपने शब्दों में विशेष नेता बताया था। मैंने उनका असम्मान करने के लिए कुछ नहीं कहा था और मैंने सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर बयान दिया था।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मैं एक नया सदस्य हूं...मैं अपना बयान वापस लेना चाहता हूं।’’ इस बयान के बाद कांग्रेस सदस्य अपने स्थानों पर वापस चले गये और सदन में चर्चा सामान्य ढंग से चलने लगी।
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