सिर्फ दीप जलाकर कोविड-19 से निपटने में मदद नहीं मिलेगी: कांग्रेस
सरकार पर पीपीई के स्थानीय स्तर पर उत्पादन की मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में दिशानिर्देश ही नहीं थे अन्यथा कोरोना वायरस से संक्रमित कम से कम 50 डॉक्टरों में इस बीमारी के प्रसार को टाला जा सकता था।
नई दिल्ली. कांग्रेस ने रविवार को कहा कि सिर्फ दिये जलाने से कोविड-19 के खिलाफ अभियान में मदद नहीं मिलेगी और सरकार से इस सवाल का जवाब मांगा कि पर्याप्त रक्षात्मक उपकरणों के “अभाव” में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा कैसे होगी। पार्टी ने यह भी कहा कि जिस तरह बंद को बिना किसी तैयारी के लागू किया गया था उसी तरह बिना किसी योजना के इसे हटाया न जाए।
कांग्रेस प्रवक्ता सुष्मिता देव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संवाददाता सम्मेलन में कहा, “जिस तरह सिर्फ बंद के जरिये कोरोना वायरस से नहीं निपटा जा सकता उसी तरह सिर्फ दिये जलाने से भी फायदा नहीं होगा। सिर्फ दिया जलाने से कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में मदद नहीं मिलेगी। अगर भारत सरकार अपने दायित्वों को पूरा नहीं करेगी तो कोरोना वायरस से पार पाना संभव नहीं है।”
उन्होंने कहा, “कोरोना वायरस के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर डटे लोगों के लिये समुचित योजना और व्यक्तिगत बचाव उपकरण (पीपीई) का प्रावधान होना चाहिए। गरीबों और वंचितों के लिये आर्थिक पैकेज की भी जरूरत है।” कोविड-19 के मामले देख रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिये पर्याप्त पीपीई नहीं होने का मुद्दा उठाते हुए देव ने कहा कि घातक विषाणु की चपेट में अब तक कम से कम 50 डॉक्टर आ चुके हैं। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वालों के परिजन को सरकार मुआवजा कब देगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकारें ऐसा करने के लिये आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “अब तक 100 लोगों की जान जा चुकी है, क्या सरकार उनके परिवारों को मुआवजा देगी? यह कुछ सवाल हैं जो हम राष्ट्र हित में पूछ रहे हैं, न कि सरकार की आलोचना में।” यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस लॉकडाउन हटाए जाने का समर्थन करेगी, देव ने कहा कि इस पर सरकार को फैसला लेना है। देव ने कहा, “हम सिर्फ यह उम्मीद करते हैं कि जिस अनियोजित तरीके से इसे लागू किया गया उसी तरह से इसे हटाया न जाए…लोगों के द्वारा दिये गए बलिदान और उनके द्वारा 21 दिनों तक झेली गई मुश्किलें व्यर्थ नहीं जानी चाहिए।”
कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि देश में 62 लाख पीपीई की जरूरत चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मियों के लिये है जबकि उनकी उपलब्धता सिर्फ 3.34 लाख है। देव ने कहा, “अगर हम कोरोना वायरस के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे अपने चिकित्सकों, नर्सों, तक्नीशियनों और अन्य पैरामेडिकल कर्मियों का बचाव नहीं कर सकते, तब यह देश इस लड़ाई के लिये तैयार नहीं है।”
सरकार पर पीपीई के स्थानीय स्तर पर उत्पादन की मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में दिशानिर्देश ही नहीं थे अन्यथा कोरोना वायरस से संक्रमित कम से कम 50 डॉक्टरों में इस बीमारी के प्रसार को टाला जा सकता था। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार ने स्थानीय स्तर पर पीपीई के निर्माण की जांच के लिये किसी एजेंसी को मंजूरी दी है।
देव ने देश में जीवन रक्षक उपकरण (वेंटिलेटर) को बढ़ाने पर भी सरकार से सवाल पूछे। उन्होंने इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिये बड़े पैमाने पर जांच का भी आह्वान किया। कांग्रेस नेता ने कहा, “सरकार जब तक कोरोना वायरस की जांच की सुविधा नहीं बढ़ाती तब तक हम इसके खिलाफ सफल नहीं हो सकते।”