इंदौर। मध्यप्रदेश के देवास जिले में बारात पर पथराव के बाद सांप्रदायिक उपद्रव के दौरान अनुसुचित जाति के युवक की हत्या के हफ्ते भर पुराने मामले का राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने बृहस्पतिवार को स्वत: संज्ञान लिया और जांच शुरू कर दी। आयोग ने पुलिस-प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि हत्याकांड के सभी फरार आरोपियों को तीन दिन के भीतर गिरफ्तार करने का प्रयास किया जाये।
अधिकारियों ने बताया कि आयोग के उपाध्यक्ष एल. मुरूगन ने पड़ोसी देवास जिले के पीपलरावां गांव में 29 मई की रात उपद्रव में मारे गये धर्मेन्द्र शिंदे (28) के शोकसंतप्त परिवार को ढांढस बंधाया। इसके साथ ही, पुलिस-प्रशासन के अफसरों से मामले की जांच की प्रगति की जानकारी ली।
मुरूगन ने "पीटीआई-भाषा" को बताया, "हमने पीपलरावां गांव के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए अपने स्तर पर कार्यवाही शुरू कर दी है। हम पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिये तमाम तथ्यों का पता लगा रहे हैं।"
आयोग के उपाध्यक्ष ने बताया, "मैंने पुलिस-प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि युवक की हत्या के सभी फरार आरोपियों को तीन दिन के भीतर गिरफ्तार करने का प्रयास किया जाये और मामले के गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा दी जाये। इसके साथ ही, मामले में अदालत में जल्द से जल्द आरोपपत्र दायर किया जाये।"
मुरूगन ने कहा, "हमें संदेह है कि पीपलरावां गांव में बारात पर पथराव की घटना पूर्व नियोजित हो सकती है।"
आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि उपद्रव में मारे गये युवक के परिवार के लोगों और इस घटना के घायलों के लिये अतिरिक्त सहायता के रूप में घर और सरकारी रोजगार की व्यवस्था भी की जानी चाहिये। इस बीच, देवास के पुलिस अधीक्षक चंद्रशेखर सोलंकी ने बताया कि जिले के पीपलरावां गांव में 29 मई की रात दलित समुदाय के एक दूल्हे की बारात पर पथराव के बाद दो वर्गों के बीच विवाद हुआ था। इस उपद्रव में शिंदे की हत्या के मामले में 11 आरोपी नामजद हैं। इनमें से तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि आठ अन्य लोगों की तलाश जारी है।
उन्होंने बताया कि दलित समुदाय का शिंदे बारातियों में शामिल नहीं था। वह वधू पक्ष से ताल्लुक रखता था और बारात देख रहा था। उपद्रव में तीन अन्य लोग घायल हुए थे जिन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। पुलिस अधीक्षक ने बताया, "हम मामले की विस्तृत जांच के जरिये पता लगा रहे हैं कि शिंदे की मौत किन हालात में हुई थी।"
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