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जानिए कौन है Col Narendra 'Bull' Kumar, जिन्होंने कहा जाता है Siachen Saviour

Col Narendra 'Bull' Kumar: लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी (सेवानिवृत्त) ने कहा, "वह Siachen saviour के रूप में जाने जाते हैं। वो ही पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिसने पहली बार सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में पाकिस्तान की cartographic आक्रामकता का पता लगाया था। बाकी इतिहास है।"

Colonel Narendra Bull Kumar siachen glacier operation meghdoot indian army जानिए कौन है Col Narendra- India TV Hindi Image Source : TWITTER/ADGPI Colonel Narendra Bull Kumar siachen glacier operation meghdoot indian army जानिए कौन है Col Narendra 'Bull' Kumar, जिन्होंने कहा जाता है Siachen Saviour

नई दिल्ली. सियाचीन की हिफाजत के लिए भारत की सेना हर मौसम में इस बर्फीले क्षेत्र में तैनात रहती है। सियाचिन की बर्फीली चोटियों पर भारत की पकड़ बनाए रखने में अहम भूमिक निभाने वाले दिग्गज पर्वतारोही Colonel Narendra 'Bull' Kumar का गुरुवार को 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कर्नल नरेंद्र 'बुल' कुमार ने राजधानी नई दिल्ली स्थित सेना के Army Research and Referral Hospital में अंतिम सांस ली।

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कर्नल नरेंद्र कुमार को 1970 और 1980 के दशक में सियाचीन इलाके में कई बार चलाए गए अभियान के लिए कीर्ति चक्र, पद्म श्री, अर्जुन पुरस्कार और मैकग्रेगर पदक से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हीं की मुख्य टोही रिपोर्टों के आधार पर भारतीय सेना ने सियाचीन में ऑपरेशन मेघदूत चलाया और ऊंची बर्फीली चोटियों पर सफलता पूर्वक कब्जा कर लिया। सियाचिन ग्लेशियर को पाकिस्तान में मिलाने की पाकिस्तानी योजनाओं के बारे में प्रारंभिक जानकारी में भी सेना को इस महान पर्वतारोही के जरिए ही शुरुआती जानकारी मिली। उन्हें साल 1953 में कुमाऊं रेजिमेंट में कमीशन किया गया था।

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लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी (सेवानिवृत्त) ने कहा, "वह Siachen saviour के रूप में जाने जाते हैं। वो ही पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिसने पहली बार सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में पाकिस्तान की cartographic आक्रामकता का पता लगाया था। बाकी इतिहास है।" कुलकर्णी भी उन भारतीय सेना सैनिकों में शामिल हैं, जिन्होंने सबसे पहले जिन्होंने कैप्टन के रूप में अपनी पलटन के साथ ग्लेशियर की चोटी पर चढ़ाई की थी।

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कर्नल नरेंद्र कुमार नंदादेवी पर्वत पर चढ़ने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने 1965 में माउंट एवरेस्ट, माउंट ब्लैंक (आल्प्स की सबसे ऊंची चोटी), और बाद में माउंट कांगचेंगा को अपने कदमों से नाप दिया। वह पहले के अभियानों में शीतदंश के कारण चार पैर की उंगलियों को खोने के बावजूद इन सभी चोटियों पर चढ़ गया। वो इन सभी चोटियों पर सफलता पूर्वक चढ़ गए बावजूद इसके कि पहले के   expeditions में frostbite की वजह से वो पैर की चार उंगलियां खो चुके थे।

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गुरुवार को उनके निधन पर पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "एक अपूरणीय क्षति! कर्नल नरेंद्र 'बुल' कुमार (सेवानिवृत्त) ने असाधारण साहस और परिश्रम के साथ देश की सेवा की। पहाड़ों के साथ उनका विशेष बंधन याद किया जाएगा। उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना। शांति।" भारतीय सेना ने भी अपने इस पूर्व सैनिक को श्रद्धांजलि दी

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