कोयंबटूर: तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले की विशेष अदालत ने शुक्रवार को 7 वर्षीय बच्ची से रेप के बाद उसकी हत्या के 9 महीने पुराने मामले के 34 वर्षीय दोषी को मौत की सजा सुनाई। पीड़िता की मां ने फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि इस फैसले से भविष्य में ऐसे ‘जानवरों’ को सबक मिलेगा। यौन अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम (POCSO) के लिए विशेष अदालत की जज आर. राधिका ने संतोष कुमार को आईपीसी की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, संतोष कुमार ने पन्नीरमाई में 25 मार्च को अपनी दादी की पड़ोसी की बेटी की रेप के बाद हत्या कर उसका शव कचरे के डिब्बे में फेंक दिया था। बच्ची का शव मिलने के बाद 31 मार्च को संतोष कुमार को गिरफ्तार किया गया था। बच्ची के हाथ-पांव बंधे पाए गए थे और उसके शरीर पर चोट के निशान थे। इस घटना से स्थानीय लोगों में तनाव बढ़ गया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद मेडिकल जांच के लिए जब उसे सरकारी अस्पताल लाया गया तो लोगों ने उसकी पिटाई कर दी।
पहले इस मामले की सुनवाई महिला अदालत में की जा रही थी जिसे बाद में पॉक्सो अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया था। मामले में 32 गवाहों के बयान लिए गए थे। जज राधिका ने दोषी को हत्या के लिए मौत की सजा, बलात्कार के लिए आजीवन कारावास और आईपीसी और पॉक्सो की विभिन्न धाराओं के तहत सबूत नष्ट करने के लिए 7 साल के कारावास की सजा सुनाई। लड़की की मां द्वारा अपराध में संलिप्त एक अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी की मांग वाली याचिका पर संज्ञान लेते हुए जज ने पुलिस को मामले की आगे की जांच करने का आदेश दिया है।
फैसले का स्वागत करते हुए लड़की की मां ने जज को बलात्कारी को मौत की सजा देने के लिए धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि भविष्य में यह फैसला एक सबक के रूप में काम करेगा। उन्होंने कहा कि बच्चों के खिलाफ इस तरह के जघन्य अपराध नहीं दोहराए जाने चाहिए और इस फैसले से ‘ऐसे जानवरों’ को सबक मिलेगा।
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