देश में करीब 11,000 करोड़ रुपये की कोयला परियोजनाएं देरी में चल रही हैं। इससे चिंतित केंद्र सरकार ने कोल इंडिया तथा एनएलसी इंडिया लि. से इसकी वजह पता लगाने और रिपोर्ट देने को कहा है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। हाल में 35,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की समीक्षा बैठक में यह मुद्दा उठा। यह बैठक ऐसे समय हुई है जबकि देश में बड़ी मात्रा में कोयले का आयात हो रहा है।
कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हाल में 500 करोड़ रुपये से और 30 लाख टन से अधिक की कोयला परियोजनाओं की समीक्षा बैठक में कोयला सचिव सुमंत चौधरी ने कोल इंडिया तथा एनएलसी इंडिया से इस देरी की वजह पता लगाने और एक अपवाद रिपोर्ट देने को कहा है। ’’ अपवाद रिपोर्ट वह दस्तावेज होता है जिसमें वास्तवितक प्रदर्शन के उम्मीद से कम रहने के कारण बताए जाते हैं।
समीक्षा बैठक में कोल इंडिया लि. की 51 परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा हुई। देश के कोयला उत्पादन में कोल इंडिया की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके अलावा एनएलसीआई (पूर्व में नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन) की नौ तथा सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी (एससीसीएल) की दो परियोजनाओं की समीक्षा की गई। अधिकारी ने बताया कि इनमें से 21 परियोजनाओं में अत्यधिक देरी हुई है। इनमें से चार परियोजनाएं कोल इंडिया की तथा चार एनएलसीआईएल की हैं। कोयला परियोजनाओं में देरी ऐसे समय हो रही है जबकि 2018 में बिजली क्षेत्र की कोयले की मांग आपूर्ति से अधिक रही है। हाल के बरसों में भारत सालाना आधार पर 20 करोड़ टन कोयले का आयात कर रहा है।
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