रोगी के लिए अस्पताल बन्द होना, मन्दिर में भगवान के दर्शन न होने जैसा: राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि लाख समस्याएं हों, लाख मजबूरियां हों, पर चिकित्सकों को अपने चिकित्सकीय दायित्व से कभी भी विमुख नहीं होना चाहिए...
जयपुर: राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने आज कहा कि चिकित्सकों को ईश्वर के बाद धरती पर दूसरे भगवान के रूप में देखा जाता है। इस ओहदे और सम्मान पर चोट न आए, इसके लिए चिकित्सकों को सदैव सजग व संवेदनशील रहना चाहिए। सिंह ने कहा कि व्यवस्था या सरकार से मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन मतभेदों को अमानवीयता की आंच से बचाकर रखें। अस्पतालों पर एक दिन का ताला लाखों जीवन पर वज्रपात बन जाता है। रोगी के लिए भी अस्पताल का बन्द होना, मन्दिर में भगवान के दर्शन न होने जैसा ही है।
सिंह ने राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में चिकित्सकों से उस स्थिति पर विचार करने को कहा कि जब आप संकट की घड़ी में भगवान के मन्दिर में जाए और आपके पहुचंने पर मन्दिर का दरवाजा बन्द कर दिया जाए, तो आपके ऊपर क्या गुजरेगी।
राज्यपाल ने कहा कि लाख समस्याएं हों, लाख मजबूरियां हों, पर चिकित्सकों को अपने चिकित्सकीय दायित्व से कभी भी विमुख नहीं होना चाहिए। राज्यपाल ने विश्वास जताया कि सभी चिकित्सक मिलजुलकर स्वस्थ राष्ट्र और स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाये। चिकित्सा की विभिन्न पद्वतियों में सबसे अधिक विश्वसनीय एवं वैज्ञानिक पद्वति के रूप में समाज में ऐलोपैथी को माना जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐलोपैथी चिकित्सकों में यह प्रचलन बन गया है कि वे होम्योपैथी, आयुर्वेद से होने वाले इलाज को खारिज कर देते हैं। ध्यान रखें कि अन्य चिकित्सा पद्धतियां ऐलोपैथी की प्रतिस्पर्धी नहीं है। राज्यपाल ने नेताजी बोस को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी वीरता, त्याग और राष्ट्र प्रेम को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद की अध्यक्ष प्रो. जयश्री पी. मेहता ने कहा कि चिकित्सकों को मरीजों की पीड़ा समझनी होगी। चिकित्सकों को चिकित्सा के सिद्वांतों पर चलना होगा। राज्यपाल ने विभिन्न परीक्षाओं में उत्कृष्ट विद्यार्थियों को उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये। डॉ. अशोक पनगडिया को डॉक्टर ऑफ सांइस की मानद उपाधि प्रदान की।