नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोपों में कोई ‘‘दम’’ नजर नहीं आया है। शीर्ष अदालत की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने प्रधान न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे। उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय द्वारा जारी नोटिस में भी कहा गया है कि आंतरिक प्रक्रिया के हिस्से के रूप में गठित समित की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जायेगी।
नोटिस में कहा गया है कि आंतरिक जांच समिति ने आंतरिक प्रक्रिया के अनुरूप पांच मई, 2019 को न्यायमूर्ति बोबडे के बाद के वरिष्ठ न्यायाधीश को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट की एक प्रति संबंधित न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश को भी भेजी गयी है। शीर्ष अदालत की एक पूर्व कर्मचारी ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुये उच्चतम न्यायालय के 22 न्यायाधीशों के आवास पर अपना हलफनामा भेजा था। इसके साथ ही इस हलफनामे के आधार पर कुछ समाचार पोर्टल ने खबर भी प्रसारित की थी।
इसके बाद ही न्यायालय ने न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता में आंतरिक जांच समिति गठित की थी। इस समिति में दो महिला न्यायाधीशों-न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी-को शामिल किया गया था। समिति के समक्ष आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी ने दो दिन अपने बयान दर्ज कराये थे जबकि इसके बाद प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई भी समिति के समक्ष पेश हुये थे।
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