नई दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ कई दिनों से हिंसा की आग में जल रहे नॉर्थ-ईस्ट में जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी है। कर्फ्यू में मिली ढील के बाद आम लोग रोजमर्रा का सामान खरीदने बाहर निकले। दुकानें खुल गई हैं। प्रदर्शन जरूर हुए लेकिन इस बार प्रदर्शनकारियों ने हिंसा का नहीं बल्कि शांति का सहारा लिया। हालांकि कई इलाकों में इंटरनेट सेवा अभी भी बंद है।
असम में तीन दिन बाद प्रशासन ने राहत दी है। लिहाजा जैसे ही दुकान खुली लोगों का हुजूम टूट पड़ा। इन हालातों के लिए लोग उग्र प्रदर्शनकारियों को ही वजह मान रहे हैं। गुवाहाटी कई दिनों से विरोध की तपिश झेल रहा था। गुवाहाटी में सेना की दो कंपनियां तैनात हैं। यहां भी 7 घंटे कर्फ्यू से राहत दी गई।
किराना दुकानों, चिकन-मछली की दुकानों के बाहर लोग कतारों में खड़े थे। कई लोगों ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर अनिश्चितताओं के कारण वे कम से कम तीन चार दिनों के लिए घर का सामान जुटा लेना चाहते हैं। बाजार में कुछ लोग कह रहे थे कि कर्फ्यू में ढील की बात सुनकर वे कार्यालय जाने के लिए तैयार होकर निकले थे। हालांकि, स्कूल और कार्यालय बंद हैं।
गुवाहाटी में जिंदगी धीरे-धीरे ही सही लेकिन रफ्तार पकड़ रही है। विरोध प्रदर्शन अब भी हो रहे है लेकिन अब हिंसा नहीं बल्कि शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट हो रहा है। गुवाहाटी के चांदमारी इलाके में शांतिपूर्व प्रदर्शन किया गया जिसमें गुवाहाटी फिल्म इंडस्ट्री के भी लोग इकट्ठा हुए।
हालात काबू में हैं। गृहमंत्रालय ने आर्मी की 26 कंपनियां को असम में तैनात करने का फैसला किया है। कई दिनों से हिंसा की चपेट में आए नॉर्थ-ईस्ट को भी अब समझ आने लगा है कि इस हिंसा से सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी का हुआ है तो वो खुद नॉर्थ ईस्ट के आम नागरिक का।
सेना और सुरक्षाबलों के जवानों ने शहर में फ्लैग मार्च किया। बृहस्पतिवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो गयी थी। निकाय कर्मचारी सड़क पर जले हुए टायरों, बिखरे पड़े ईंट-पत्थर तथा अन्य सामान और बैरिकेड को हटाते नजर आए। बस सहित सार्वजनिक परिवहन सड़क से नदारद रहे।
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