गुवाहाटी। असम के पुलिस प्रमुख ने कहा है कि पुलिस, सामुदायिक पुलिस प्रणाली का नवोन्मेषी मॉडल अपनाकर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अद्यतन प्रक्रिया के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती से प्रभावी तरीके से निपट पायी है।
पुलिस महानिदेशक कुलाधर सैकिया ने शुक्रवार को पीटीआई भाषा से कहा कि ‘‘नागरिक समितियों’’ का उपयोग पुलिस ने यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि एनआरसी सूची को तैयार करने के दौरान शांति बनी रहे। ये समितियां करीब 23 साल पहले राज्यभर में विभिन्न थाना क्षेत्रों में बनायी गयी थीं। अंतिम एनआरसी सूची 31 अगस्त को प्रकाशित होने वाली है। समितियों का गठन सैकिया के दिमाग की उपज है जब वह 1996 में गुवाहाटी पुलिस के अगुवा थे।
पुलिस महानिदेशक ने कहा, ‘‘ राज्य में एनआरसी अद्यतन का विशाल काम पिछले कुछ समय से चल रहा है और पुलिस नागरिक समितियों की मदद से भयंकर चुनौतियों के आलोक में कानून व्यवस्था प्रभावी तरीके से बनाये रखने में कामयाब रही है।’’
उन्होंने कहा कि इस अहम चरण में कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने की व्यापक प्रशंसा हुई है और दिसंबर, 2018 में गुजरात के केवडिया में आयोजित हुए अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक सम्मेलन में भी यह सघन चर्चा का एक विषय था। उन्होंने कहा कि ऐसी समितियों के गठन का उद्देश्य ज्यादा बेहतर तरीके से कानून व्यवस्था बनाए रखने में आम लोगों को भाग लेने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है।
सैकिया ने कहा कि नागरिक समितियों के सदस्यों ने लोगों के साथ रोजाना संवाद के दौरान उपयोगी सूचनाएं जुटायीं और एनआरसी के अद्यतन से जुड़ी प्रासंगिक सूचनाएं पुलिस तक पहुंचायीं जिससे उसे बहुत मदद मिली। पुलिस ने यह पता चलने के बाद कि आम लोग एनआरसी प्रक्रिया के बारे में क्या सोच रहे है, उसके बारे में उनका भय दूर करने के लिए परामर्श सत्र आयोजित किया।
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