राफेल करार: सौदे से लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले तक के घटनाक्रम
राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर उच्चतम न्यायालय की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को दी गई क्लिनचिट के खिलाफ पुनर्विचार याचिका भी गुरुवार को न्यायालय ने खारिज कर दी।
नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर उच्चतम न्यायालय की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को दी गई क्लिनचिट के खिलाफ पुनर्विचार याचिका भी गुरुवार को न्यायालय ने खारिज कर दी। इसके साथ ही राफेल सौदे पर उपजे विवाद का कानूनी पटाक्षेप हो गया।
इसका घटनाक्रम इस प्रकार है:
30 दिसंबर 2002: रक्षा उपकरणों की खरीद को सु्गम बनाने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) को अपनाया गया।
28 अगस्त 2007: रक्षा मंत्रालय ने 126 एमएमआरसीए (बहुपयोगी लड़ाकू विमान) की खरीदारी के लिए के लिए अनुरोध पत्र आमंत्रित किया।
4 सितंबर 2008: अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस समूह ने रिलायंस एयरोस्पेस टेक्नोलॉजिस लिमिटेड (आरएटीएल) की स्थापना की।
मई 2011: भारतीय वायुसेना ने राफेल और यूरोस्टार के रुचि पत्र को आगे के विचार के लिए चुना।
30 सितंबर 2012: दसॉल्ट एविएशन की ओर से राफेल लड़ाकू विमान के लिए लगाई गई बोली सबसे कम पाई गई।
13 मई 2014: कार्य बंटवारे के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और दसॉल्ट एविएशन के बीच करार हुआ। इसके तहत 108 विमानों के लिए एचएएल 70 फीसदी और दसॉल्ट के 30 फीसदी काम करने पर सहमति बनी।
8 अगस्त 2014: तत्कालीन रक्षामंत्री अरुण जेटली ने संसद को बताया कि करार के तहत सीधे उड़ने लायक 18 राफेल विमानों की आपूर्ति अगले तीन-चार साल में होने की उम्मीद है। शेष 108 की आपूर्ति में अगले सात साल में होगी।
8 अप्रैल 2015: तत्कालीन विदेश सचिव ने बताया कि दसॉल्ट, रक्षा मंत्रालय और एचएएल के बीच विस्तृत बातचीत चल रही है।
10 अप्रैल 2015: फ्रांस से पूरी तरह से निर्मित 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के नए करार की घोषणा की गई।
26 जनवरी 2016: भारत और फ्रांस ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के समझौते पर दस्तखत किए।
18 नवंबर 2016: सरकार ने संसद को बताया कि एक राफेल लड़ाकू विमान की लागत करीब 670 करोड़ रुपये आएगी और सभी विमानों की आपूर्ति अप्रैल 2022 तक होगी।
31 दिसंबर 2016: दसॉल्ट एविएशन की वार्षिक रिर्पोट में खुलासा हुआ कि 36 लड़ाकू विमानों की कीमत करीब 60,000 करोड़ रुपये है जो संसद में सरकार की ओर से बताई गई कीमत से दो गुनी है।
13 मार्च 2018: उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के केंद्र सरकार के फैसले की स्वतंत्र जांच कराने और इसकी कीमत संसद को बताने का निर्देश देने की मांग की गई।
5 सितंबर 2018: उच्चतम न्यायालय ने राफेल सौदे पर रोक लगाने संबंधी जनहित याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की।
8 अक्टूबर: उच्चतम न्यायालय ने राफेल सौदे पर दायर नयी याचिका पर 10 अक्टूबर को सुनवाई करने पर सहमति दी जिसमें को 36 लड़ाकू विमान खरीदने के समझौते की विस्तृत जानकारी सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को मुहैया कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
10 अक्टूबर 2018: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से राफेल सौदे की प्रक्रिया संबंधी जानकारी सीलबंद लिफाफे में देने को कहा।
24 अक्टूबर 2018: पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर राफेल मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की।
31 अक्टूबर 2018: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को 10 दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में विमान की कीमत संबंधी जानकारी देने को कहा।
12 नवंबर 2018: केंद्र सरकार ने 36 लड़ाकू विमानों की कीमत संबंधी जानकारी सीलबंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय को मुहैया कराई। साथ ही यह बताया कि सौदे को अंतिम रूप देने के लिए किन प्रक्रियाओं का अनुपालन किया गया।
14 नवंबर 2018: उच्चतम न्यायालय ने अदालत की निगरानी में जांच कराने संबंधी याचिका पर फैसला सुरक्षित किया।
14 दिसंबर 2018 : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से लिए गए फैसले की प्रक्रिया में कहीं भी शंका पैदा नहीं हुई। विमान सौदे में कथित अनियमितता को लेकर सीबीआई जांच कराने और प्राथमिकी दर्ज करने निर्देश देने संबंधी सभी याचिकाएं खारिज की।
2 जनवरी 2019: यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय के 14 दिसंबर के फैसले की समीक्षा के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की।
26 फरवरी 2019: उच्चतम न्यायालय ने पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई को सहमति दी।
13 मार्च 2019: केंद्र सरकार ने न्यायालय से कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से पुनर्विचार याचिका के साथ दाखिल दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील।
10 अप्रैल 2019: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की उस आपत्ति को खारिज कर दिया जिसमें उसने याचिकाकर्ताओं की ओर से पुनर्विचार याचिका के साथ दाखिल दस्तावेजों पर अपना विशेषाधिकार जताया था।
12 अप्रैल 2019: भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंची कहा कि उन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ के नारे में गलत तरीके से न्यायलय को उद्धृत किया।
23 अप्रैल 2019: राफेल सौदे पर टिप्पणी को लेकर उच्चतम न्यायालय ने राहुल गांधी को अवमानना नोटिस जारी किया।
8 मई 2019: राहुल गांधी ने उच्चतम न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगी।
10 मई 2019: उच्चतम न्यायालय ने राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका और राफेल सौद पर पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित किया।
14 नवंबर 2019: उच्चतम न्यायालय ने राफेल सौदे पर दायर पुनर्विचार याचिका खारिज की, फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने संबंधी मांग को भी नामंजूर किया। राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना के मामले को भी समाप्त किया।