नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच तकरार और कांग्रेस पार्टी की तरफ से केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर रुख के बीच एक बड़ी खबर ये है कि भारत स्थित चीनी दूतावास राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करता रहा है। यह आरोप बीजेपी की ओर से लगाया गया है। बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह आरोप लगाया। इस संबंध में उन्होंने कई दस्तावेजों का भी हवाला दिया।
आपको बता दें कि राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं और इसके बोर्ड में डॉ. मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, पी. चिदंबरम और प्रियंका गांधी हैं।
राजीव गांधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट (2005-06) में यह स्पष्ट है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइन के दूतावास से फंडिंग हुई। जानकारी के मुताबिक इस फंडिंग का नतीजा ये रहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के बारे में कई स्टडी की और इसे जरूरी बताया।
भारत और चीन को लेकर राजीव गांधी फाउंडेशन की स्टडी के नतीजे भी चौंकानेवाले थे। इसमें साफ तौर पर कहा गया कि चीन से ज्यादा भारत को मुक्त व्यापार समझौते की जरूरत है और भारत को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के प्रयास के तौर पर इसे लागू करना चाहिए । ऐसा तब कहा जा रहा था जबकि चीन असंतुलित व्यापार की वजह पहले से ही भारत की तुलना बहुत अधिक फायदे में था।
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भाजपा ने सवाल उठाया कि क्या राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए की फंडिंग का इससे कुछ संबंध है? साथ ही यह सवाल उठना भी स्वभाविक है कि कहीं चीन के साथ एफटीए के लिए यह लॉबिंग तो नहीं ? व्यापार घाटे को 2003-04 और 2013-14 के बीच 33 गुना करने की अनुमति है? क्या इस फंडिंग का 2008 में कांग्रेस पार्टी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के बीच समझौते का कोई संबंध है? CCP के साथ अपने संबंधों पर कांग्रेस पार्टी भारत से कौन सी अन्य बातें छिपा रही है?
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